शिव जयंती के अवसर पर गगनभेदी गर्जना (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: शिवाजी महाराज का नाम लेते ही सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। महाराष्ट्र की धरती का यह शेर इतना मशहूर है कि उसकी 395वीं जयंती पर भी सिर्फ उसका ही नाम लिया जा रहा है। एक ऐसा वीर जिसने किले-किले हिला दिए, शेर की तरह निडर, बहादुरी, पराक्रम और दूरदर्शिता की एक सफल कहानी, छत्रपति शिवाजी महाराज महान साहस और दूरदर्शिता के व्यक्ति हैं।
शिवाजी की जयंती 19 फरवरी को पूरी दुनिया में मनाई जाती है। इस समय शिव गर्जना का गौरव गान किया जाता है। शिवाजी की छवि हर मराठी व्यक्ति के दिल में हमेशा के लिए संरक्षित है और इस लेख में हम शिवाजी की गर्जना के बारे में जानेंगे, जो हमें लगातार अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करती है और इस शिवाजी के लिए प्रेरणा है जो स्वराज्य के लिए दिन-रात लड़ता है।
जब शिवाजी की सेना युद्ध पर निकली तो ‘हर हर महादेव! जय भवानी! जय शिवाजी!’ कहा जा रहा है कि ऐसी घोषणा होनी चाहिए। आज भी शिवाजी की शक्ति प्राप्त करने के लिए कोई कार्य प्रारंभ करते समय यह उद्घोषणा और गर्जना की जाती है। एक साथ यह नारा सुनने से शिवसैनिकों को एक नई ताकत मिलती है और उपलब्धि का अहसास होता है।
आस्ते कदम… आस्ते कदम… आस्ते कदम… महाराSSSSSSSSSज…
गडपती, गजअश्वपती, भूपती, प्रजापती… सुवर्णरत्नश्रीपती…
अष्टवधानजागृत, अष्टप्रधानवेष्टित… न्यायालंकारमंडित, शस्त्रास्त्रशास्त्रपारंगत…
राजनीतीधुरंधर, प्रौढप्रतापपुरंदर… क्षत्रियकुलावतंस, सिंहासनाधीश्वर…
महाराजाधिराज… राजा शिवछत्रपती महाराज की विजय हो…!
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इनमें से प्रत्येक शब्द आपके सीने को भर देता है और इनमें से प्रत्येक शब्द का एक अलग अर्थ है जो आपको दहाड़ने पर मजबूर कर देता है। आपको यह समझने की जरूरत है कि इस दहाड़ का वास्तव में क्या मतलब है। यह गर्जना, जो हिन्दू स्वराज्य की पहचान का प्रमाण है, अपने सम्पूर्ण अर्थ के साथ सदैव हमारे हृदय में रहेगी।