दिल्ली में छठ महापर्व पर बड़ी तैयारी (फोटो- सोशल मीडिया)
Delhi Chhath Ghats: दिल्ली में इस साल छठ पर्व की तैयारियां जोरों पर हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार इस बार के आयोजन को ऐतिहासिक बनाने में जुटी है। राजधानी में 1300 से ज्यादा घाटों पर भव्य छठ पूजा की व्यवस्था की जा रही है। इसी सिलसिले में, उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और मंत्री कपिल मिश्रा ने वासुदेव घाट का दौरा किया। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि श्रद्धालुओं के लिए सभी इंतजाम समय पर पूरे किए जाएं।
निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को घाटों पर साफ-सफाई, रोशनी, सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था पर खास ध्यान देने को कहा गया है। सरकार का लक्ष्य है कि छठ व्रतियों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। इस मौके पर दिल्ली सरकार, नगर निगम और कई अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपराज्यपाल और मंत्री के साथ मौजूद रहे। सभी विभाग मिलकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि तैयारियां दुरुस्त हों।
कला, संस्कृति एवं भाषा मंत्री कपिल मिश्रा ने इस आयोजन को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने बताया कि इस साल दिल्ली में छठ पूजा का आयोजन अब तक का सबसे बड़ा और भव्य होने जा रहा है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि दिल्ली के लोग स्वच्छ, सुरक्षित और सांस्कृतिक माहौल में छठ पर्व मनाएं।” मंत्री ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि यह कहने वाली नहीं, बल्कि करने वाली सरकार है। उन्होंने बताया कि सीएम रेखा गुप्ता के नेतृत्व में यह पहली छठ पूजा है और इस बार यमुना किनारे पारंपरिक तरीके से पूजा की अनुमति दी गई है। यह दिल्लीवासियों और खासकर पूर्वांचल समाज के लिए गर्व का पल है।
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कपिल मिश्रा ने इस मौके पर पिछली सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने छठ पूजा पर रोक लगाकर पूर्वांचल समाज का अपमान किया था। उन्होंने याद दिलाया, “छह साल तक यमुना किनारे छठ पूजा करने पर रोक लगाई गई थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब दिल्ली की सरकार हर श्रद्धालु के साथ खड़ी है। अब कोई रोक नहीं, बल्कि सम्मान और गर्व के साथ छठ पर्व मनाया जाएगा।” दिल्ली में छठ पूजा का आयोजन इस बार पूरी तैयारी के साथ किया जा रहा है। घाटों पर लाइटिंग, टेंट, बैरिकेडिंग, मेडिकल सुविधा और जलस्तर नियंत्रण जैसी व्यवस्थाएं पहले से बेहतर की गई हैं। दिल्ली सरकार का कहना है कि इस बार का छठ पर्व न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक होगा, बल्कि यह दिल्ली की एकता और सांस्कृतिक विविधता का भी उत्सव बनेगा।