संदर्भ चित्र (सोर्स- सोशल मीडिया)
Lucknow News: भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय 24 सितम्बर से 01 अक्टूबर तक काल्मिकिया (रूस) में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का प्रदर्शन आयोजित कर रहा है। भारत से भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को रूस ले जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य करेंगे। वह प्रतिनिधिमंडल के साथ 23 सितम्बर को भारतीय वायुसेना के विमान से रूस के लिए प्रस्थान करेंगे। जहाँ भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा (कपिलवस्तु) अवशेषो का प्रदर्शन किया जायेगा।
अपनी इस यात्रा को लेकर केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि कपिलवस्तु अवशेषों की अंतरराष्ट्रीय यात्रा भारत की साफ्टपावर और सांस्कृतिक कूटनीति का प्रभावी माध्यम बनेगी। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व थाईलैंड और वियतनाम में भगवान बुद्ध के अवशेषों की प्रदर्शनी आयोजित की जा चुकी है। थाईलैंड और वियतनाम की सफलता ने वैश्वक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई है। और रूस में होने वाली प्रदर्शनी इस गौरवशाली परम्परा को आगे बढ़ाएगी और भारत की सांस्कृतिक छवि को और निखरेगी।
पवित्र अवशेषों के प्रदर्शन के महत्व की चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि इससे द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने के साथ सांस्कृतिक व राजनैतिक रिश्तों में और गहराई आएगी तथा सभ्यतागत विरासत को पुनः स्थापित करना व भारत को बौद्ध धर्म की जन्मभूमि व परम्परा का संरक्षक स्थापित करना है।
यही नहीं इससे वैश्विक शांति व सद्भाव का वातावरण मजबूत करना है और भगवान बुद्ध के संदेश करुणा, शांति व अहिंसा को विश्वभर में प्रसारित करना है। बताया कि भगवान बुद्ध के कपिलवस्तु अवशेष पीपरहवा (उत्तर प्रदेश) से प्राप्त हुए जिसे प्राचीन कपिलवस्तु नगरी से जोड़ा जाता है, यह अवशेष पुरातात्विक रूप से प्रमाणित हैं और वैश्विक बौद्ध समुदाय के लिए अत्यंत पूज्यनीय धरोहर हैं। यह भगवान बुद्ध के जीवन से प्रत्यक्ष जुड़ाव का प्रतीक हैं।
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रूस यात्रा को लेकर उन्होंने कहा कि 25 से 28 सितंबर तक एलिस्ता शहर काल्मिकिया में राष्ट्रीय संग्रहालय द्वारा भगवान बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाओं को दर्शाने वाले मूल कलात्मक शैलियों की कृतियों की प्रतिकृतियां प्रदर्शित की जाएगी। और पिपरहवा अवशेषों पर एक लघु वृत्तचित्र भी प्रदर्शित किया जाएगा। बताते चलें कि काल्मिकिया ऐसा क्षेत्र है, जहां बौद्ध जनसंख्या बहुतायात में है। यहां बौद्ध धर्म केवल धर्म ही नहीं बल्कि संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है।
रिपोर्ट- राजेश मिश्र @नवभारत