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जयंती विशेष: वो राजनेता जिसने राजस्थान में दो बार किया राज, प्रतिभा पाटिल के खिलाफ निर्दलीय लड़ गया राष्ट्रपति का चुनाव

आज यानी बुधवार 23 अक्टूबर को वीरभूमि राजस्थान के एक ऐसे राजनेता की जयंती है जिसका नाम राजस्थान ही नहीं देश की सियासत में भी बड़े अदब के साथ लिया जाता है।

  • By अभिषेक सिंह
Updated On: Oct 23, 2024 | 12:04 AM

पूर्व उपराष्ट्रपति भैंरों सिंह शेखावत (सोर्स-सोशल मीडिया)

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नवभारत डेस्क: आज यानी बुधवार 23 अक्टूबर को वीरभूमि राजस्थान के एक ऐसे राजनेता की जयंती है जिसका नाम राजस्थान ही नहीं देश की सियासत में भी बड़े अदब के साथ लिया जाता है। जिसका नाम उन सियासतदानों में शुमार होता है जिनका सियासी शत्रु ढूंढना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। जिसने राजस्थान के सीएम के साथ भारत के उपराष्ट्रपति पद को भी सुशोभित किया। अगर आपकी सियासत में रुचि है तो अब तक आप यह समझ गए होंगे कि हम किस राजनेता की बात कर रहे हैं।

जी हां, आज यानी बुधवार 23 अक्टूबर को राजस्थान के पूर्व सीएम भैरों सिंह शेखावत की 101वीं जयंती है। राजनीति में उनके कई विरोधी थे, लेकिन कोई भी उनका दुश्मन नहीं था। शेखावत खुद कहते थे कि वह दुश्मन बनाने में नहीं बल्कि दोस्त बनाने में विश्वास रखते हैं। भैरों सिंह भारतीय राजनीति में माहिर होने के साथ-साथ एक पारंपरिक नेता भी थे। आपको बता दें कि विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट मैकनामारा ने शेखावत को ‘भारत का रॉकफेलर’ कहा था। आइए उनकी पुण्यतिथि के मौके पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें…

यह भी पढ़ें:-  दो राज्यों का सीएम बनने वाला इकलौता राजनेता, एक ही दिन होती है इस सियासी अजातशत्रु की जयंती और पुण्यतिथि

भैरों सिंह शेखावत का जन्म 23 अक्टूबर 1923 को राजस्थान के सीकर जिले के खाचरियावास गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम देवी सिंह शेखावत और माता का नाम बन्ने कंवर था। वे अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर पाए थे कि उनके पिता का निधन हो गया। जिसके बाद परिवार की जिम्मेदारी शेखावत के कंधों पर आ गई और इस वजह से वह अपनी पढ़ाई आगे नहीं कर पाए। शुरुआत में भैरों सिंह ने खेती की। बाद में वह सब-इंस्पेक्टर बन गए।

भैरों सिंह का सियासी सफर

शेखावत ने साल 1952 में राजनीति में प्रवेश किया। इस दौरान वह 1952-72 तक राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। 1967 के चुनाव में भारतीय जनसंघ और सहयोगी स्वतंत्र पार्टी बहुमत के बेहद करीब पहुंच गई थी। लेकिन उनकी सरकार नहीं बन पाई। इसके बाद शेखावत ने 1974-77 तक राज्यसभा सदस्य के तौर पर काम किया। जिसके बाद वह 1977 से 2002 तक राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। साल 1977 में उनकी पार्टी ने 200 में से 151 सीटों पर जीत हासिल की। ​​इसके बाद भैरों सिंह शेखावत को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया गया।

…जब बने राजस्थान के सीएम

साल 1980 तक सेवा देने के बाद भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी टूट गई। इसके बाद शेखावत भाजपा में शामिल हो गए। इसके साथ ही वे वर्ष 1990 तक विपक्ष के नेता की भूमिका में रहे। वर्ष 1984 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के शासन काल में भाजपा की हार हुई। फिर वर्ष 1989 के चुनाव में भाजपा और जनता दल के गठबंधन ने लोकसभा में 25 सीटें जीतीं। वहीं राजस्थान विधानसभा चुनाव में 140 सीटें जीतीं। इस दौरान वर्ष 1990 में भैरों सिंह शेखावत राजस्थान के सीएम बने। वे वर्ष 1992 तक सीएम पद पर रहे।

साजिशों के बावजूद बचाई सरकार

अगले चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने भैरों सिंह शेखावत के नेतृत्व में 99 सीटें जीतीं। इस तरह निर्दलीय समर्थकों के समर्थन से भैरों सिंह एक बार फिर सरकार बनाने में सफल रहे। इस तरह वर्ष 1993 में वे तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और सरकार गिराने की साजिशों के बावजूद 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। वर्ष 1998 में महंगाई के मुद्दों के चलते भैरों सिंह को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि वर्ष 1999 में भाजपा ने लोकसभा चुनाव जीता था।

राष्ट्रपति चुनाव में मिली हार

भैरों सिंह शेखावत पुलिस और नौकरशाही व्यवस्था के कुशल प्रशासन के लिए जाने जाते हैं। भैरों सिंह शेखावत को राजस्थान में औद्योगिक और आर्थिक विकास के जनक के रूप में भी जाना जाता है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भैरों सिंह को भारत के सर्वोच्च नेता के रूप में संबोधित किया था। वर्ष 2002 में सुशील कुमार शिंदे को हराकर भैरों सिंह शेखावत देश के उपराष्ट्रपति चुने गए थे। वर्ष 2007 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के समर्थन से भैरों सिंह ने निर्दलीय के रूप में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था। लेकिन इस दौरान उन्हें प्रतिभा पाटिल से हार का सामना करना पड़ा था।

यह भी पढ़ें:- जन्मदिन विशेष: अमित शाह को इलेक्शन के अलावा कुछ नज़र नहीं आता, जानिए किसने कही थी ‘चाणक्य’ के लिए यह बात?

भैरों सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उपलब्धियां हासिल कीं। उनके असाधारण गुणों को देखते हुए भैरों सिंह शेखावत को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, आंध्र विश्वविद्यालय, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय द्वारा डी. लिट की उपाधि से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें मुंबई की एशियाटिक सोसाइटी द्वारा फेलोशिप से सम्मानित किया गया था। उन्हें येरेवन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी अर्मेनिया से गोल्ड मेडल और डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन की उपाधि से सम्मानित किया गया था। अपने अंतिम दिनों में भैरों सिंह शेखावत कैंसर से पीड़ित थे। जिसके बाद उनका इलाज जयपुर के सवाई अस्पताल में चल रहा था। 15 मई 2010 को इलाज के दौरान भैरों सिंह शेखावत का निधन हो गया।

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Published On: Oct 23, 2024 | 12:02 AM

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