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आप वेबसाइट पर नाम क्यों नहीं डाल सकते? SIR पर सुप्रीम कोर्ट ने EC से पूछा सवाल, जानें और क्या कहा?

Supreme Court On SIR: कोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को अपने नाम की स्थिति जानने के लिए राजनीतिक कार्यकर्ताओं या BLO पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। आधार और EPIC कार्ड के साथ आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है।

  • By अर्पित शुक्ला
Updated On: Aug 14, 2025 | 04:47 PM

सुप्रीम कोर्ट

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SIR Row: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनाव आयोग (ECI) से पूछा कि क्या उसके लिए लापता मतदाताओं के नाम डिस्प्ले बोर्ड या अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर डालना संभव है। कोर्ट ने कहा कि मृत, विस्थापित या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम डिस्प्ले बोर्ड या वेबसाइट पर प्रदर्शित करने से अनजाने में हुई गलतियों को सुधारने का भी अवसर मिलेगा।

सर्वोच्च अदालत ने ये टिप्पणी बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के खिलाफ दायर कई याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की। इस दौरान कोर्ट ने 65 लाख मतदाता जिनका नाम कट गया गया है, उनकी सूची वेबसाइट पर डालने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का सवाल

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, “आप इन नामों को डिस्प्ले बोर्ड या वेबसाइट पर क्यों नहीं डाल सकते? पीड़ित लोग 30 दिनों के भीतर सुधारात्मक उपाय कर सकते हैं।”

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से एक सार्वजनिक नोटिस जारी करने पर विचार करने का भी आग्रह किया, जिसमें उन वेबसाइटों, स्थानों या प्लेटफार्मों का विवरण दिया जाए, जहां मृत, विस्थापित या फिर स्थानांतरित मतदाताओं के बारे में जानकारी साझा की जाती है।

पीठ ने इलेक्शन कमीशन से यह भी पूछा कि वो उन लोगों के नामों का खुलासा क्यों नहीं कर सकता जो मर गए हैं, स्थानांतरित हो गए हैं या अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में चले गए हैं।

चुनाव आयोग ने क्या कहा?

इस पर निर्वाचन आयोग ने कहा कि जिन लोगों की मृत्यु हो गई है, जो पलायन कर गए हैं या स्थानांतरित हो गए हैं, उनके नामों की सूची पहले ही राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को दे दी गई है।

इसमें कहा गया है कि एक अनुमान के अनुसार, चुनावी राज्य में लगभग 6.5 करोड़ लोगों को एसआईआर के लिए कोई दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं है।

राजनीतिक तनाव के माहौल में काम

चुनाव आयोग ने आगे कहा कि वो राजनीतिक तनाव के माहौल के बीच काम कर रहा है और “शायद ही कोई ऐसा फ़ैसला हो जिस पर विवाद न हो”। चुनाव आयोग ने ये भी कहा कि वो राजनीतिक दलों के बीच की लड़ाई में फंसा हुआ है, और कहा कि “अगर वे जीतते हैं, तो ईवीएम अच्छी है, अगर वे हारते हैं, तो ईवीएम खराब है।”

यह भी पढ़ें- किश्तवाड़ में बादल फटने से बड़ा हादसा, 15 लोगों की मौत, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

इससे पहले 13 अगस्त को, शीर्ष अदालत ने कहा कि मतदाता सूचियां ‘स्थिर’ नहीं रह सकतीं और उनमें संशोधन होना ही है। उसने आगे कहा कि SIR प्रक्रिया के लिए स्वीकार्य पहचान दस्तावेजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 11 करना मतदाताओं के अनुकूल है।

Bihar sir row why cant you put names on website supreme court asks ec

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Published On: Aug 14, 2025 | 04:46 PM

Topics:  

  • Bihar Assembly Election 2025
  • Bihar Politics
  • Supreme Court

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