राजस्थान के पूर्व CM अशोक गहलोत (फोटो- सोशल मीडिया)
जयपुर: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने महाराष्ट्र में मराठी-हिंदी विवाद को लेकर बड़ा बयान दिया है। जयपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि भारत एक विविधताओं से भरा देश है, जहां भाषा, धर्म और संस्कृति को लेकर समय-समय पर मुद्दे उठते रहते हैं। लेकिन ये विवाद कोई नई या बड़ी बात नहीं हैं। उनका मानना है कि ऐसे सामाजिक मसलों से समाधान भी निकलते हैं और देश आगे बढ़ता है।
गहलोत ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी विविधता है। यहां एकता तभी मजबूत होती है जब लोग अपने मतभेदों के साथ मिलकर चलना जानते हैं। उन्होंने मराठी-हिंदी विवाद को ज्यादा गंभीर न मानते हुए कहा, ऐसी चर्चाएं होती रहती हैं, लेकिन जरूरी है कि राजनीति या हिंसा के बजाय संवाद और समझ के रास्ते को अपनाया जाए।
#WATCH | Jaipur, Rajasthan: On the Marathi language row, former Rajasthan Chief Minister and Congress leader Ashok Gehlot says, “Such controversies persist because India is such a vast country. So, some problem or another will keep arising in the country, and its solutions will… pic.twitter.com/ZAo2odxGvv
— ANI (@ANI) July 6, 2025
हर समुदाय का अपना एजेंडा होता
गहलोत ने कहा, हर भाषा और समुदाय के अपने हित और एजेंडे होते हैं। कुछ लोग इसे राजनीतिक रंग देते हैं, तो कुछ सामाजिक विवाद बना देते हैं। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि यह सब भारत के लोकतंत्र और विविधता का हिस्सा है। उन्होंने लोगों से अपील की कि भाषा को विवाद नहीं, संवाद का माध्यम बनाएं और एक-दूसरे की सांस्कृतिक पहचान का सम्मान करें।
गहलोत का यह बयान उस समय आया है जब महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषा को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। उन्होंने इस मौके पर राजनेताओं को भी जिम्मेदारी से बयानबाजी करने की सलाह दी और कहा कि “भाषा के नाम पर हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
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मनसे की हरकत से भड़का विवाद
मराठी-हिंदी विवाद की शुरुआत तब हुई जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ताओं ने मुंबई में एक दुकानदार को सिर्फ इसलिए पीट दिया क्योंकि उसने मराठी में बात नहीं की थी। इसके बाद महाराष्ट्र में गैर-मराठी भाषी लोगों में असुरक्षा की भावना देखने को मिली। समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा था कि मराठी सिखाने के लिए स्कूल खोलें, मारपीट न करें।