एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (फोटो- सोशल मीडिया)
AIMIM Chief असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री के दफ्तर में काला पानी की सजा काटने के दौरान 6 बार अंग्रेजों को लव लेटर लिखने बालों की तस्वीर लगा रखी है, उन्होंने कहा कि इनकी भी रखिए लेकिन साथ में 30 साल तक काला पानी की सजा काटने वाले मौलवी अलाउद्दीन की तस्वीर भी पीएम को अपने ऑफिस में लगानी चाहिए। इससे एक अच्छा संदेश भी जाएगा।
ओवैसी मौलवी आलाउद्दीन साहब, अहमद हसन, मोहतरमा तैयब जी साहिबा, युसूफ मेहर अली साहब की शहादत की बात को करते हुए कहा कि पहली जंग ये आजादी 1857 में फिर नॉन कॉर्पोरेशन मूवमेंट 1920 फिर 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन हुआ। फिर जाकर 1947 में फाइनल जाकर आजादी मिली। उन्होंने कहा कि हर जगह पर आप देखेंगे कि मुसमान, सिख, हिन्दु, ईसाई लोग आगे थे इस देश का आजाद कराने के लिए सब लोगों ने अपना योगदान दिया।
प्रधानमंत्री को अपने दफ्तर में मुजाहिद-ए-वतन मौलवी अलाउद्दीन की तस्वीर लगानी चाहिए pic.twitter.com/wQZ2X6eoxg
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 14, 2025
वही ओवैसी ने हैदराबाद में आयोजित एक सभा में स्वतंत्रता संग्राम में दक्कन के वीरों के योगदान को याद करते हुए कहा कि मुसलमान भारत में अपनी मर्जी से रहते हैं और किसी के दबाव में नहीं। उन्होंने मौलवी अलाउद्दीन, तारे बाज खा, सरायतीब और आबिद हसन सफरानी जैसे सेनानियों का जिक्र करते हुए स्पष्ट कहा, “हम बाबर की नहीं, स्वतंत्रता सेनानियों की संतान हैं।” ओवैसी ने नागरिकता पर सवाल उठाने की कोशिशों की निंदा करते हुए एकता और भाईचारे का संदेश दिया।
सभा में हजारों लोग मौजूद थे, जिन्होंने ओवैसी के विचारों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि दक्कन के स्वतंत्रता सेनानियों ने न केवल आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर किए, बल्कि काले पानी की यातनाएं भी सहीं। ओवैसी ने अफसोस जताया कि आज इन वीरों की कुर्बानियों को भुला दिया गया है। उन्होंने समाज से आह्वान किया कि ऐसे ऐतिहासिक योगदान को याद रखा जाए और देश की विविधता में एकता को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास किया जाए।
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अपने भाषण में ओवैसी ने दक्कन के मुजाहिद्दीन के संघर्ष का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मौलवी अलाउद्दीन और तारे बाज खा जैसे योद्धाओं ने अंग्रेजों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी और जेल की यातनाएं सहीं। आबिद हसन सफरानी ने भारत की आजादी के लिए विदेशों में भी संघर्ष किया। ओवैसी ने कहा कि इन महान सेनानियों की कहानियां हर पीढ़ी तक पहुंचनी चाहिए, ताकि समाज में एकजुटता और देशभक्ति की भावना बनी रहे।