अरविंद केजरीवाल (डिजाइन फोटो)
नई दिल्ली: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने रविवार को एकाएक इस्तीफे का ऐलान कर के विरोधियों ही नहीं सियासी पंडितों को भी चौंका दिया। किसी ने इस बात की उम्मीद भी नहीं की थी कि केजरीवाल जेल से बाहर आते ही यह धमाका करने वाले हैं। यही वजह है कि केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा के बाद से सियासी फिजाओं में यह प्रश्न तेजी से तैर रहे हैं कि आखिर केजरीवाल ने इतना बड़ा फैसला क्यों लिया। इस सवाल के जवाब में कोई एक दो नहीं बल्कि तीन कारण हैं जो हम एक एक कर आपको बताने वाले हैं।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान के बाद राजनीतिका विश्लेषकों के लिए यह कौतूहल का विषय हो गया कि आखिर ऐसा कौन सा कारण है जिसने केजरीवाल को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया। क्योंकि केजरीवाल को जबसे गिरफ्तार किया गया है तबसे लगातार विरोधी दल खासकर बीजेपी उनके इस्तीफे की मांग करती रही है। लेकिन केजरीवाल ने जेल में रहते हुए कभी इस्तीफे की बात नहीं कही। फिर ऐसा क्या हुआ के बाहर आने के बाद उन्होंने इस्तीफे का ऐलान कर दिया।
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हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होने वाली है। इसी बीच सीएम केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। जिसके बाद रविवार को उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सीएम की कुर्सी त्यागने का ऐलान कर दिया। जिसके बाद राजनीतिक चौपालों पर चर्चा हुई कि केजरीवाल ने हरियाणा चुनाव के मद्देनजर यह कदम उठाया है। कहा जा रहा कि केजरीवाल के इस कदम से आम आदमी पार्टी को वहां सिम्पैथी मिलेगी और राज्य में पार्टी की पैठ बढ़ सकती है। या हो सकता है कि वह किंगमेकर की भूमिका में भी आ जाए।
अगले साल फरवरी में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं। केजरीवाल ने इस्तीफे का ऐलान करते हुए जल्दी चुनाव कराने की मांग की है। इस दौरान केजरीवाल ने यह भी कहा कि वह अग्निपरीक्षा देने जा रहे हैं। जब जनता उन्हें ईमानदारी का सर्टिफिकेट दे देगी तब वह सीएम की कुर्सी पर बैठेंगे। ऐसे में माना यह जा रहा है कि केजरीवाल अपने इस कदम से राज्या की जनता को भावनात्मक तौर पर प्रभावित करेंगे। बीजेपी को विलेन के तौर पर पेश करेंगे जिससे आने वाले चुनाव में उन्हें फायदा मिलेगा।
जानकारों के मुताबिक केजरीवाल के इस फैसले में कहीं न कहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश में उन पर लगाई गई कई शर्तें भी शामिल हैं, जिसकी वजह से दिल्ली के मुख्यमंत्री पर यह फैसला लेने का दबाव बढ़ गया है। कानूनी जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई जमानत की शर्तें अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कर्तव्यों का पालन करने की पूरी आजादी नहीं देती हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि रिहा होने के बाद भी वह सचिवालय या सीएम ऑफिस नहीं जा सकते हैं। साथ ही वह उन फाइलों को छोड़कर किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं, जिन्हें उपराज्यपाल से मंजूरी मिलनी है। कोई और सीएम रहेगा तो वह सारे फैसले ले सकेगा।
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