आज का निशानेबाज (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, सोए हुए व्यक्ति को जगाया जा सकता है लेकिन जो सोने का ढोंग कर रहा हो, उसे कोई कैसे जगाए?’ हमने कहा, ‘आप किसके सोने और जागने की बात कर रहे हैं? कहावत है जब जागे तभी सबेरा! यह भी कहा गया है कि जो सोवत है सो खोवत है, जो जागत है सो पावत है।लोग गाढ़ी नींद में बेखबर सोए रहते हैं और रात में चोरी हो जाती है।इसी वजह से चौकीदार रात में पहरा देते हुए बार-बार लाठी पटक कर चिल्लाता है- जागते रहो! आपने गीत सुना होगा- जागो मोहन प्यारे!’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, इस समय मोहन को नहीं, समाजसेवी अन्ना हजारे को जगाने की कोशिश की जा रही है।पुणे में बैनर लगाकर कहा गया है- अन्ना अब तो उठो! कुंभकर्ण भी लंका के लिए उठा था, आप अपने देश के लिए उठिए।देश में वोटों की चोरी हो रही है।भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।लोकतंत्र खतरे में है।आप जैसे समाजसेवी चुप कैसे रह सकते हैं? अन्ना दिल्ली का जंतरमंतर फिर से आपका जादू देखने के लिए आतुर है.’ हमने कहा, ‘अन्ना हजारे समझ गए हैं कि चतुर लोग अपना उल्लू सीधा करने के लिए उनका इस्तेमाल करते आए हैं।2014 से पहले उनके भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आंदोलन की वजह से बीजेपी को सत्ता में आने में मदद मिली थी।उनके आंदोलन में शामिल अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बनाई और दिल्ली के सीएम बने।
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किरण बेदी पुडुचेरी की उपराज्यपाल बना दी गई थीं।अन्ना को लगा कि उनके चेले केजरीवाल रास्ता भटक गए हैं।अन्ना हजारे के अनशन आंदोलन के समय दिल्ली में भारी भीड़ हुई थी।इसे उन्होंने अपनी लोकप्रियता मान लिया था लेकिन जब मुंबई में अनशन किया तो भीड़ नदारद थी।बाद में पता चला कि दिल्ली की भीड़ संघ कार्यकर्ताओं ने की थी जबकि मुंबई में कोई नहीं आया।अन्ना समझ गए हैं कि आंदोलन कराने के लिए उन्हें मोहरा बनाया जाता है।बाद में हालत यह होती है कि मेहनत करे मुर्गी, अंडे खाएं फकीर! इसलिए पिछला अनुभव देखते हुए इस बार किसी के चक्कर में नहीं फंसेंगे।अन्ना ने बैनर लगानेवालों को जवाब दिया कि यह गलत है कि उम्र के 90वें वर्ष में मैं काम करूं और तुम लोग सोए रहो.’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा