गठिया के दर्द के लिए योगासन (सौ. सोशल मीडिया)
Arthritis Pain Yogasan Tips: आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में हर किसी की सेहत पहले की तरह नहीं रही है। जोड़ों के दर्द से लेकर कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं घेरे रखती है। पहले इसे सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब कम उम्र के लोग भी इससे परेशान हैं। लगातार बैठे रहना, गलत खान-पान, शरीर में सूजन और तनाव जैसी वजहों से गठिया तेजी से बढ़ रहा है। गठिया के दर्द के लिए कई दवाईयों का सेवन किया जाता है लेकिन कम लोग जानते होंगे योग में हर बीमारी को मात देने की शक्ति छिपी है।
गठिया की बीमारी पहले बुजुर्गो को चपेट में लेती थी वहीं पर अब इस समस्या से हर उम्र के लोग पीड़ित हो गए है। इस बीमारी में जोड़ों में सूजन, दर्द, जकड़न और चलने-फिरने में परेशानी होने लगती है। कई बार तो हालत इतनी खराब हो जाती है कि रोजमर्रा के छोटे-छोटे काम करना भी मुश्किल लगने लगता है। आयुष मंत्रालय और कई योग विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दवाइयों के साथ योग को जीवनशैली का हिस्सा बनाया जाए, तो गठिया के दर्द को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
गठिया के दर्द को देखते हुए आयुष मंत्रालय ने योग को इसका सही उपचार बताया है। इसके अनुसार, योग न केवल शरीर को लचीला बनाता है, बल्कि रक्त संचार को भी सुधारता है, मांसपेशियों को मजबूत करता है और मन को भी शांत रखता है। योग शरीर और मन के बीच एक सेतु की तरह काम करता है। जब शरीर शांत और संतुलित होता है, तो दर्द और सूजन भी धीरे-धीरे कम होने लगती है। गठिया जैसी बीमारियों में दवाइयों के साथ-साथ शरीर की ऊर्जा को जगाना बहुत जरूरी है और इसमें योग अहम भूमिका निभाता है।
अगर आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में गठिया के दर्द से बचे रहना चाहते है तो, इन प्रकार के योगासन को कर सकते है जो इस प्रकार है।
ताड़ासन:
यह आसन शरीर के संतुलन और पोस्चर को सुधारता है। जब आप सीधा खड़े होकर अपने हाथों को ऊपर उठाते हैं और शरीर को खींचते हैं, तो इससे रीढ़ की हड्डी और पैरों की मांसपेशियों में खिंचाव आता है। यह खिंचाव शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है और जोड़ों के जकड़न को कम करता है। जो लोग लंबे समय तक खड़े रहते हैं या जिनके घुटनों में दर्द रहता है, उनके लिए यह आसन बेहद लाभदायक है।
गठिया दर्द के लिए करें तीन योगासन (सौ. सोशल मीडिया)
वृक्षासन:
यह आसन शरीर के संतुलन को सुधारता है और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। एक पैर पर खड़े होकर दूसरा पैर जांघ पर रखना और हाथों को नमस्ते की मुद्रा में लाना शरीर में स्थिरता लाता है। गठिया के मरीजों के लिए यह इसलिए अच्छा है क्योंकि यह कूल्हों और पैरों के जोड़ों को मजबूत करता है। अगर शुरुआत में संतुलन बनाना मुश्किल लगे, तो दीवार का सहारा लेकर अभ्यास किया जा सकता है।
भुजंगासन:
यह आसन उन लोगों के लिए वरदान की तरह है जिन्हें कमर या पीठ के निचले हिस्से में दर्द रहता है। पेट के बल लेटकर छाती को ऊपर उठाने से रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है। यह आसन रीढ़, कंधों और गर्दन के दर्द को भी कम करता है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर का ऊपरी हिस्सा मजबूत होता है और गठिया से जुड़ी अकड़न में राहत मिलती है।
आईएएनएस के अनुसार