कढ़ी चावल खाने के नुकसान (सौ.सोशल मीडिया)
Kadhi Chawal Eating Tips: हमारा देश भारत कई विविधताओं से भरा हुआ है तो वहीं पर यहां पर संस्कृति और स्वाद की झलक मिलती है। देश के अनेक हिस्सों से व्यंजनों की महक फैल जाती है। उत्तर भारत में कढ़ी-चावल एक पारंपरिक डिश है, जिसे बड़े स्वाद के साथ खाया जाता है। ये डिश स्वाद के साथ-साथ सेहत का खजाना भी होती है। कढ़ी एक प्रोबायोटिक व्यंजन है, क्योंकि इसमें दही होती है, और दही पेट और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए अच्छी होती है। भारत के लिए अलग-अलग राज्यों में कढ़ी-चावल बनाने का तरीका अलग है। पंजाब में पंजाबी कढ़ी यानी पकौड़े वाली कढ़ी खाई जाती है। गुजरात में मीठी कढ़ी खाई जाती है, जिसमें खूब सारी सब्जियां डाली जाती हैं, लेकिन इस कढ़ी में बेसन नहीं पड़ता।
यहां पर पारंपरिक कढ़ी में ढेर सारा बेसन, हींग, कड़ी पत्ते और लहसुन का इस्तेमाल होता है, जो कढ़ी को स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक दोनों बनाता है। कहते है कि, कढ़ी की तासीर वैसे तो गर्म होती है, लेकिन दही की वजह से ये पौष्टिक हो जाती है। इसके अलावा कढ़ी को डिटॉक्स व्यंजन भी मान सकते हैं, क्योंकि कढ़ी में मौजूद कड़ी पत्ता, हींग और हल्दी पेट को साफ करती हैं और आंतों में मौजूद बुरे बैक्टीरिया का भी नाश करती हैं।
पेट से जुड़ी समस्या जैसे कब्ज में भी ये राहत देती है। इसके अलावा कढ़ी-चावल हल्का और सात्विक भोजन होता है। अगर कढ़ी में तले हुए पकौड़ों का इस्तेमाल न करे और हरी सब्जी जैसे पालक, बथुआ, या मेथी का इस्तेमाल किया जाए तो कढ़ी को और पौष्टिक बनाया जा सकता है। इसके अलावा चावल के साथ इसका कॉम्बिनेशन पेट को ठंडा भी रखता है।
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कढ़ी चावल खाने के फायदे तो आप जान गए, गलत समय पर खाने पर ये व्यंजन नुकसान भी करता है। चलिए जानते है कि,…