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दिवाली के बाद जहरीली हवा ने कर दिया सेहत का हुआ बुरा हाल, तो इन आयुर्वेदिक उपायों से रखें ख्याल

Ayurvedic Upay For Health: दिल्ली-एनसीआर में AQI 450 से 500 के बीच दर्ज हुआ है तो वहीं पर इस तरह की हवा “गंभीर श्रेणी” में आती है। दिवाली के पटाखों के साथ इस जहरीली हवा में सांस लेना कठिन होता है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Oct 21, 2025 | 07:05 AM

दिवाली के बाद तो इन आयुर्वेदिक उपायों से रखें ख्याल (सौ.सोशल मीडिया)

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Delhi Pollution Health Tips: दिवाली का उत्सव चल रहा है, जहां पर जगमगाती रात हर दिल में खुशियां भर देती है, लेकिन उसी रोशनी के बाद की सुबह अक्सर सांसों में घुटन और आसमान में धुएं का पर्दा छोड़ जाती है। इस दिवाली के उत्सव के बाद देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ गया है। 20 अक्टूबर 2025 की सुबह, देश के कई शहरों ने त्योहार की खुशी के बाद जहरीली हवा का कड़वा सच महसूस किया।

यहां पर दिल्ली-एनसीआर में एक्यूआई 450 से 500 के बीच दर्ज हुआ है तो वहीं पर इस तरह की हवा “गंभीर श्रेणी” में आती है। दिवाली के पटाखों के साथ इस जहरीली हवा में सांस लेना कठिन हो जाता है तो वहीं पर खतरनाक होता है।

पटाखों के प्रदूषण से अस्थमा और आंखों में जलन

दिवाली के पटाखों से जहां पर हमने जश्न मनाया है वहीं पर आज दूसरे दिन प्रदूषण और जहरीली हवा को नाश्ते में ले रहे है। पटाखों का धुआं हवा में लंबे समय तक बना रहता है। इस धुएं में मौजूद पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे सूक्ष्म कण सीधे फेफड़ों तक पहुंचते हैं। डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार, पीएम 2.5 का सुरक्षित स्तर 25 माइक्रोग्राम/मी3 होना चाहिए, लेकिन 20 अक्टूबर की सुबह दिल्ली के कुछ हिस्सों में यह 350 माइक्रोग्राम/मी3 को पार कर गया। यही कारण है कि त्योहार के तुरंत बाद अस्पतालों में खांसी, तेज सांस, अस्थमा अटैक और आंखों में जलन के मामले बढ़ जाते हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों पर इसका असर साफ दिखाई देता है, क्योंकि उनकी श्वसन क्षमता पहले से ही संवेदनशील होती है।

आयुर्वेद में जानिए बचाव के उपाय

जहरीली हवा और प्रदूषण के माहौल में आप सेहत को सही रखने के उपाय कर सकते है। आयुर्वेद में इस स्थिति को ‘दूषित वायु से उत्पन्न विकार’ मानता है। प्राणवायु यानी जीवन देने वाली हवा जब प्रदूषित हो जाती है, तो शरीर में आम (टॉक्सिन) बढ़ता है और कफ मार्ग में अवरोध पैदा करता है। दिवाली के बाद सिर्फ आराम नहीं, बल्कि शरीर की शुद्धि और अग्नि (पाचन शक्ति) को संतुलित करना जरूरी होता है। नस्य कर्म—नाक में तिल के तेल या घी की दो बूंदें डालना—एक प्राचीन उपाय है जो नाक की श्लेष्म परत को सुरक्षित करता है और प्रदूषण के असर को कम करता है। यह सिर्फ नाक की सफाई नहीं, बल्कि सांस की ढाल है।

घरेलू नुस्खों से रखें सेहत का ख्याल

प्रदूषण के स्तर में सेहत का ख्याल रखना जरूरी होता है इसके लिए घरेलू नुस्खों का ख्याल रख सकते है। सुबह के समय बिना मास्क बाहर निकलना हानिकारक हो सकता है। डॉक्टर एन-95 या एन-99 मास्क पहनने की सलाह देते हैं, क्योंकि यही पीएम 2.5 तक को रोक सकते हैं। घरेलू नुस्खे की बात करें तो तुलसी, अदरक और काली मिर्च का काढ़ा शरीर में जमा कफ को तोड़ता है और गले की जलन शांत करता है। गुड़ और काली मिर्च का सेवन, हल्दी वाला दूध या मुलेठी चूर्ण भी श्वसन तंत्र को राहत देता है। आयुर्वेद कहता है कि गरम पानी का धीरे-धीरे सेवन प्रदूषण से जमा विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।

ये भी पढ़ें- पूरे शरीर से टैनिंग दूर करने का आसान तरीका

हल्का भोजन खाने में ले

भोजन का चयन भी इस समय विशेष मायने रखता है। दिवाली के दौरान भारी, तैलीय और मीठे भोजन से शरीर थका हुआ होता है। ऐसे में त्योहार के बाद हल्का, सुपाच्य आहार—जैसे मूंग दाल खिचड़ी, लौकी, या जीरा-हींग वाला सूप—अग्नि को पुनर्जीवित करता है। रात को देर तक जागने की आदत भी शरीर पर असर छोड़ती है। आयुर्वेद “दिवाली के बाद विश्राम” शरीर के लिए आवश्यक होता है। नींद सिर्फ थकान मिटाती नहीं, बल्कि फेफड़ों की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करती है।

आईएएनएस के अनुसार

 

 

Take care of yourself with these ayurvedic remedies after diwali

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Published On: Oct 21, 2025 | 07:05 AM

Topics:  

  • Air Pollution
  • Diwali
  • Health News

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