सांकेतिक तस्वीर (सोर्स- सोशल मीडिया)
Nimesulide Ban: भारत सरकार ने पॉपुलर पेनकिलर निमेसुलाइड के प्रोडक्शन पर बैन लगा दिया है। इस दवा के 100 mg से ज्यादा वाले सभी ओरल फॉर्मूलेशन की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस संबंध में 29 दिसंबर, 2025 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसे अब तुरंत लागू कर दिया गया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह फैसला इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की सिफारिशों और ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) की सलाह के आधार पर लिया है। इन संस्थाओं ने बताया था कि 100 mg से ज्यादा निमेसुलाइड की डोज इंसानी सेहत के लिए हानिकारक है, जिससे लिवर, किडनी और दूसरे ज़रूरी अंगों को नुकसान पहुंचने का खतरा है।
इस फैसले से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए निमेसुलाइड पहले से ही बैन था। इस साल इसके सभी फॉर्मूलेशन जानवरों के लिए भी बैन कर दिए गए थे। अब 100 mg से ज्यादा के सभी फॉर्मूलेशन पर बैन लगा दिया गया है। हालांकि, 100 mg से कम के फार्मूलेशन की बिक्री जारी रह सकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, निमेसुलाइड एक नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा (NSAID) है। इसका इस्तेमाल दर्द, सूजन और बुखार को कम करने के लिए किया जाता रहा है। डॉक्टर आमतौर पर इसे दांत दर्द, जोड़ों के दर्द, पीरियड्स के दर्द, मोच और बुखार जैसी स्थितियों के लिए लिखते थे। यह दवा शरीर में सूजन पैदा करने वाले केमिकल्स को ब्लॉक करके दर्द से जल्दी राहत देती है, और इसलिए यह लंबे समय से एक तेज़ असर वाली पेनकिलर के तौर पर पॉपुलर रही है।
स्वास्थ्य एजेंसियों के अनुसार, निमेसुलाइड की ज्यादा डोज लेने से लिवर और किडनी को गंभीर नुकसान का खतरा बढ़ जाता है। कई मामलों में इसे हेपेटाइटिस, लिवर फेलियर और दूसरे अंगों पर बुरे असर से जोड़ा गया है। एक्सपर्ट कमेटियों की सिफारिशों में यह निष्कर्ष निकला कि इसके नुकसान इसके फायदों से ज्यादा हैं।
यही वजह है कि लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस दवा के ज्यादा डोज वाले फॉर्मूलेशन के प्रोडक्शन और बिक्री पर बैन लगा दिया गया है। सरकार के इस फैसले से फार्मा कंपनियों और मेडिकल स्टोर्स में हलचल मच गई है। कई कंपनियों को अपनी प्रोडक्शन लाइन बंद करनी पड़ेगी।
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इतना ही नहीं उन्हें ज्यादा से ज्यादा डोज वाली निमेसुलाइड दवाओं का मौजूदा स्टॉक भी वापस मंगवाना पड़ेगा, जिससे उन्हें काफी वित्तीय नुकसान होगा। हालांकि, इस फैसले को लोगों की सेहत के लिए बहुत ज़रूरी माना जा रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक, यह बैन मरीज़ों को सुरक्षित विकल्पों की ओर ले जाएगा और दवा के गलत इस्तेमाल को रोकेगा।