
'रेनॉड्स सिंड्रोम' के शिकार (सौ.सोशल मीडिया)
Raynauds Syndrome: सर्दियों का मौसम जारी है इस मौसम में स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं सामने आती रहती है। अक्सर ठंड के मौसम में कइयों के हाथ-पैर अचानक बर्फ जैसे ठंडे पड़ जाते हैं, रंग बदल जाता है और कुछ समय तक कुछ महसूस ही नहीं होता है। यानि की सुन्न की स्थिति बन जाती है। इस समस्या को हम मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते है लेकिन यह रेनॉड्स सिंड्रोम को बढ़ावा देने का काम करता है। इस स्थिति में अंगों का रंग पहले सफेद, फिर नीला और बाद में लाल हो जाता है।
शरीर में नजर आने वाली यह एक ऐसी प्रतिक्रिया है जो ठंड से खुद को बचाने के लिए होती है। इस स्थिति में कुछ लोगों में यह जरूरत से ज्यादा तीव्र हो जाती है। महिलाएं पुरुषों की तुलना में इससे ज्यादा प्रभावित होती हैं, और यह समस्या प्रायः किशोरावस्था या युवावस्था में शुरू होती है। भावनात्मक तनाव भी इसका एक बड़ा कारण हो सकता है।जब मन घबराता है, शरीर की नसें सिकुड़ सकती हैं और उंगलियां ठंडी पड़ सकती हैं। शरीर में नजर आने वाली इस स्थिति के प्रकारों को स्पष्ट तरीके से बताया गया है।
पहली, प्राइमरी रेनॉड्स—जो अपने आप होती है और गंभीर नहीं मानी जाती।
दूसरी, सेकेंड्री रेनॉड्स—जो किसी अन्य बीमारी जैसे स्क्लेरोडर्मा या ल्युपस से जुड़ी हो सकती है और कभी-कभी उंगलियों में घाव का कारण भी बन सकती है। इसलिए अगर यह अक्सर और बहुत तीव्र रूप से हो, तो डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है।
यहां पर पिछले महत्वपूर्ण अध्ययन (2023),लैंसेट रूमेटोलॉजी में प्रकाशित लेख की बात की जाए तो, जिन मरीजों में सेकेंड्री रेनॉड्स होता है, उनमें माइक्रोवेस्कुलर (बहुत छोटी रक्त नलिकाओं) को होने वाली क्षति जल्दी पकड़ में आ जाती है। अगर इस बीमारी की शुरुआती पहचान हो जाए तो गंभीर जटिलताएं सामने नहीं आती है। एक और स्टडी, जो जर्नल ऑफ ऑटोइम्युनिटी में छपी, इस बात पर जोर देती है कि रेनॉड्स कई बार ऑटोइम्यून रोगों का पहला संकेत हो सकता है, इसलिए इसे हल्के में लेना उचित नहीं।
यहां पर इस समस्या को दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करके काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। जहां पर सर्दी से बचाव के लिए हमेशा दस्ताने और गर्म मोजे पहनना, अचानक तापमान परिवर्तन से बचना, धूम्रपान छोड़ना, तनाव कम करना और ऐसी चीजों से दूर रहना जिनमें हाथों पर कंपन ज्यादा पड़ता हो। कुछ लोगों को गर्म पानी में हाथ-पैरों को डुबोना तुरंत राहत देता है। जिन मरीजों में यह अधिक गंभीर होता है, डॉक्टर ब्लड वेसल्स फैलाने वाली दवाइयां देते हैं ताकि खून का प्रवाह ठीक बना रहें।
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यहां पर अगर समस्या या उसके लक्षण नजर आए तो बिल्कुल नजरअंदाज न करें। इसके लिए हाथ-पैर बार-बार सफेद-नीले हो रहे हों, दर्द व सुन्न-पन लंबे समय तक बना रहे या त्वचा पर घाव बनने लगें, तो यह संकेत है कि शरीर किसी बड़ी दिक्कत की ओर इशारा कर रहा है। अगर समय पर जांच और सही देखभाल से रेनॉड्स पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है और सामान्य जीवन जिया जा सकता है।
आईएएनएस के अनुसार






