प्रोस्टेट कैंसर (सौ. डिजाइन फोटो)
Prostate cancer: आज के आधुनिक जीवनशैली में, स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ती जा रही हैं, और इनमें प्रोस्टेट कैंसर भी एक गंभीर विषय बन चुका है। यह कैंसर विशेष रूप से पुरुषों को प्रभावित करता है। कई बार यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है, जिससे शुरुआती चरणों में इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए, इसके लक्षणों के बारे में जानना और समय पर सही इलाज कराना बेहद ज़रूरी है। अगर इस बीमारी को शुरुआती चरण में ही पहचान लिया जाए, तो इसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे मरीज एक स्वस्थ और लंबा जीवन जी सकता है।
अमेरिकन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, प्रोस्टेट पुरुषों के प्रजनन तंत्र का एक छोटा सा हिस्सा है। यह मूत्राशय के ठीक नीचे और मूत्र नली (युरेथ्रा) के आसपास स्थित होता है। जब इस ग्रंथि की कोशिकाएं अनियंत्रित और असामान्य तरीके से बढ़ने लगती हैं, तो इसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है।
प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती चरणों में अक्सर कोई स्पष्ट लक्षण दिखाई नहीं देते, जिससे इसे पहचानना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण हैं जिन पर ध्यान देना चाहिए:
बार-बार पेशाब आना: विशेष रूप से रात के समय बार-बार पेशाब करने की इच्छा महसूस होना।
पेशाब करने में दर्द या जलन: पेशाब करते समय दर्द या जलन का अनुभव होना।
पेशाब रोकने में कठिनाई: पेशाब को रोकने या नियंत्रित करने में असमर्थता।
पेशाब में खून आना: यद्यपि यह लक्षण कम होता है, लेकिन पेशाब में खून दिखना एक गंभीर संकेत हो सकता है।
कमर और कूल्हों में दर्द: कुछ मामलों में, मरीजों को कमर, कूल्हों या पीठ के निचले हिस्से में लगातार दर्द महसूस हो सकता है।
ये लक्षण हमेशा कैंसर के कारण नहीं होते, लेकिन अगर इनमें से कोई भी लक्षण लंबे समय तक बना रहे, तो डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
प्रोस्टेट कैंसर का खतरा उम्र के साथ बढ़ता है। अधिकतर मामले 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में देखे जाते हैं। इसके अलावा, जिन पुरुषों के परिवार में किसी को प्रोस्टेट कैंसर हो चुका है, उन्हें भी इसका अधिक खतरा होता है। इसलिए, इस आयु वर्ग के पुरुषों के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ विशिष्ट टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं:
डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन (DRE): इस शारीरिक जांच में डॉक्टर प्रोस्टेट ग्रंथि की स्थिति और आकार की जांच करते हैं।
पीएसए (प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन) टेस्ट: यह एक रक्त जांच है, जिसमें खून में पीएसए नामक प्रोटीन का स्तर मापा जाता है। पीएसए का उच्च स्तर प्रोस्टेट कैंसर का संकेत हो सकता है, जिसके बाद आगे की जांच की आवश्यकता होती है।
अगर प्रोस्टेट कैंसर का निदान शुरुआती स्टेज में हो जाए, तो इसका इलाज आसान और अधिक सफल होता है। इलाज के कई विकल्प उपलब्ध हैं, जो बीमारी की स्टेज और मरीज के स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं:–
सर्जरी कराना : कैंसरग्रस्त ग्रंथि को हटाने के लिए सर्जरी की जा सकती है।
रेडिएशन थेरेपी से उपचार : इसमें उच्च-ऊर्जा विकिरण का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।
हार्मोन थेरेपी भी उपयोगी : यह कैंसर कोशिकाओं के विकास को धीमा करने के लिए हार्मोन के स्तर को कम करती है।
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कुछ मामलों में, यदि कैंसर बहुत धीरे-धीरे बढ़ रहा हो, तो डॉक्टर केवल सक्रिय निगरानी (Active Surveillance) की सलाह देते हैं, जिसमें नियमित जांच के माध्यम से बीमारी की प्रगति पर नजर रखी जाती है। जागरूकता और समय पर जांच से प्रोस्टेट कैंसर का प्रभावी ढंग से प्रबंधन किया जा सकता है और मरीज को एक स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलती है।