ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े मिथकों की जानें सच्चाई (सौ.सोशल मीडिया)
World Breastfeeding Week: नवजात शिशु और मां के लिए स्तनपान बेहद जरूरी होता है। नवजात शिशु को 6 महीने तक स्तनपान कराने की सलाह हेल्थ एक्सपर्ट द्वारा दी जाती है। प्रेग्नेंसी के दौरान और डिलीवरी के बाद महिला को स्तनपान कराने से लेकर कई जरूरी बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है। नई माताओं को कम जानकारी होती है इसलिए वे कई मिथकों पर विश्वास भी कर लेती है।
सोशल मीडिया के जरिए नई माताएं स्तनपान को लेकर दी जा रही भ्रामक जानकारियों को भी सच मान लेती है। इस दौरान हेल्थ एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह से बेहतर कुछ नहीं होता है। नवजात बच्चे और मां को अलग रखना चाहिए ताकि मां को आराम मिल सके। चलिए जानते हैं किन मिथकों पर विश्वास कर लेती है महिलाएं।
नवजात की मां के सामने कई बातें स्तनपान से जुड़ी सामने आती है जिसके पीछे की सच्चाई को जान लेना जरूरी होता है…
मिथक- बच्चे ज्यादा दूध पीता है, तो कम होता है प्रोडक्शन
इस मिथक के पीछे की सच्चाई की जानें तो, नवजात शिशु का पेट काफी छोटा होता है इसलिए उन्हें हर 1.5 से 2 घंटे में फीडिंग करवाने की जरूरत पड़ती है। यहां पर बच्चा जितना दूध पीता है उतना ही ब्रेस्ट में दूध का प्रोडक्शन होता है। यह एक तरीके से क्लस्टर फीडिंग ग्रोथ का नतीजा होता है।
मिथक- दूध पर्याप्त नहीं बन नहीं पाता है
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, बच्चे के जन्म के बाद मां के शरीर में पर्याप्त दूध का प्रोडक्शन होता है। शुरुआती दिनों में कोलोस्ट्रम (गाढ़ा पीला दूध) सीमित नजर आता है जो एंटीबॉडी और पोषण से भरपूर होता है। जैसे-जैसे बच्चा दूध पीता है मां का दूध बढ़ता जाता है। इस बात पर एक्सपर्ट बताते है कि, लगभग सभी मां अपने बच्चे के लिए सही मात्रा में दूध का उत्पादन करती हैं। दूध सही से नहीं बन पाता है तो डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी होती है।
मिथक- दूध का प्रोडक्शन ब्रेस्ट के साइज करता है निर्भर
इस मिथक की बात करें तो, दूध का प्रोडक्शन मां के ब्रेस्ट साइज पर निर्भर करता है। दूध कम या ज्यादा बनने के पीछे मिल्क ग्लैंड काम करता है। ब्रेस्ट का आकार दूध बनाने की क्षमता से नहीं जुड़ा है।
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मिथक-सी-सेक्शन के बाद दूध पिलाना कितना होता है सही
इस मिथक के पीछे की सच्चाई को जानें तो, सी-सेक्शन की डिलीवरी के बाद फीडिंग बिल्कुल नहीं कराई जा सकती है। यहां पर हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो, सी-सेक्शन के कुछ घंटों के बाद मां को अपने नवजात शिशु को दूध पिलाना चाहिए। इसके लिए किसी सहारे को ले सकते है।
मिथक- बीमार मां को ब्रेस्टफीडिंग नहीं करानी चाहिए
यहां पर इस मिथक की बात की जाए तो, मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडीज, बच्चे की सेहत के लिए काम करते है। अगर नवजात शिशु की मां को किसी प्रकार की गंभीर समस्या है तो उसे डॉक्टर की सलाह पर स्तनपान कराना चाहिए। यूनिसेफ के अनुसार, आपकी बीमारी या रोग के इलाज के लिए आपके शरीर द्वारा बनाए गए एंटीबॉडी बच्चे में पहुंच जाते हैं।