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धीरे-धीरे फेफड़े को खोखला कर देता है ये कैंसर, जानिए लंग कैंसर के लक्षण और निदान

World lung Cancer 2025: विश्व फेफड़ों का कैंसर दिवस, लंग कैंसर के बढ़ते मामलों को रोकने और कैंसर के खतरे के प्रति जागरूकता का प्रसार करने के लिए मनाया जाता है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Aug 01, 2025 | 05:05 AM

विश्व फेफड़ा कैंसर दिवस (सौ. सोशल मीडिया)

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World lung Cancer 2025: हमारे शरीर के सभी अंग किसी ना किसी रूप में जरूरी होते है। सभी अंगों का स्वस्थ रहना जरूरी है। आज यानि 1 अगस्त को दुनियाभर में विश्व फेफड़ों का कैंसर (World lung Cancer day) मनाया जा रहा है। यह दिन लंग कैंसर के बढ़ते मामलों को रोकने और कैंसर के खतरे के प्रति जागरूकता का प्रसार करने के लिए मनाया जाता है। प्रदूषण औऱ धूम्रपान का सेवन करने से फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है।

फेफड़ें, गंभीर प्रभावों की चपेट में आ जाते है, इससे निजात पाना इतना आसान नहीं होता है। प्रदूषण के अलावा कुछ चीजें ऐसी भी होती है, जो फेफड़े के कैंसर को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होती है चलिए जानते है इनके बारे में।

जानिए क्या होता है फेफड़ों का कैंसर

यहां पर फेफड़े का कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें फेफड़ों की सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। इस कैंसर में ऐसा होता है कि, यह धीरे-धीरे बढ़ता है और शुरुआती चरण में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। आंकड़े कहते है कि, हर साल करीब 16 लाख लोग फेफड़ों के कैंसर के कारण अपनी जान गंवा देते हैं जिनमें से 15 फीसदी ने कभी तंबाकू का सेवन नहीं किया होता। इससे समझे तो कैंसर का खतरा बढ़ाने के लिए केवल प्रदूषण या सिगरेट नहीं कुछ चीजें और होती है।

जानिए लंग कैंसर के लक्षण

यहां पर लंग कैंसर के लक्षण बताए गए है। कई बार इस कैंसर की पहचान शुरुआती लक्षणों से भी नहीं हो पाती है। इस बीमारी के लक्षणों में लगातार खांसी, सांस लेने में दिक्कत, वजन कम होना, या खांसते समय खून आना जैसी समस्याएं होती हैं। इस तरह के लक्षण अगर 4-5 दिन से ज्यादा नजर आए को तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

कौन से कारक होते है लंग कैंसर के जिम्मेदार

प्रदूषण या सिगरेट जैसी चीजों के सेवन करने के अलावा कुछ चीजें ऐसी होती है जो लंग कैंसर के खतरे को बढ़ाती है। इस कैंसर के कुछ आंकड़ों में कई ऐसे मरीजों की पहचान हुई है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया।

  • रेडॉन गैस एक नेचुरल रूप से पाया जाने वाला रेडियोएक्टिव तत्व है, जो घरों और इमारतों में मौजूद हो सकता है। कहते है, लंबे समय तक रेडॉन गैस के संपर्क में रहने से फेफड़े का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • फेफड़े के कैंसर के लिए यह असबेस्टस जिम्मेदार होता है। दरअसल यह एक असबेस्टस एक खनिज है जिसका उपयोग निर्माण कार्य में किया जाता है। असबेस्टस के धूल के कणों को सांस लेने से फेफड़े का कैंसर हो सकता है।
  • कुछ कैमिकल जैसे कि आर्सेनिक, क्रोमियम और निकेल भी फेफड़े के कैंसर का कारण बन सकते हैं।
  • अगर आपके परिवार में किसी को फेफड़े का कैंसर रहा है तो आपको भी यह बीमारी होने का खतरा थोड़ा अधिक होता है।
  • कुछ वायरस जैसे कि ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) और हेपेटाइटिस सी वायरस भी फेफड़े के कैंसर से जुड़े हुए हैं।

ये भी पढ़ें- रेस्टोरेंट के मेन्यू में सॉल्ट वॉर्निग लेबल हुआ लागू, टलेगा इन बीमारियों का खतरा

जानिए कैसे संभंव है इस बीमारी का इलाज

आपको बताते चलें, लंग कैंसर के मामले हर साल लाखों मिलते है। इनमें से हजारों मरीज फेफड़ों के कैंसर का इलाज करने के लिए पहुंचते है। पहले कहा जाता था कि, लंग कैंसर की बीमारी 55-60 साल की उम्र के लोगों में होती है। मौजूदा समय में यह बीमारी अब 30-40 साल के युवा में भी नजर आ रही है। फेफड़ों के कैंसर का इलाज शुरुआती चरणों में सर्जरी द्वारा किया जा सकता है. लेकिन तीसरी और चौथी स्टेज में इसका उपचार मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी का इलाज करने के लिए बायो मार्कर सिस्टम और टिशू की मदद ली जाती है लेकिन टिशु उपलब्ध नहीं हैं, तो ब्लड टेस्ट के जरिए उपचार किया जाता है।

इस बीमारी के बारे में जानकारी लेने के बाद इस बीमारी के प्रति सतर्क रहना जरूरी है। आप अच्छी आदतें अपनाएं और छोटी बीमारियों को नजरअंदाज नहीं करें।

Know the symptoms and diagnosis of lung cancer

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Published On: Aug 01, 2025 | 05:05 AM

Topics:  

  • Health News
  • Lifestyle News
  • lung

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