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चौंक जाएंगे आप, कबूतरों को दाना डालने की आदत देती है इन बीमारियों को जन्म, जानिए कैसे

Pigeon Feeding Health Issue: कहा जा रहा है कि कबूतरों को दाना डालने से सेहत को नुकसान पहुंचता है और कई गंभीर बीमारियों को जन्म देता है। यह परंपरा मुंबई, दिल्ली, जयपुर में दिखाई देती है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Aug 07, 2025 | 02:40 PM

कबूतर की बीट में छुपी है बीमारियां (सौ. डिजाइन फोटो)

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Dadar Kabutarkhana Controversy: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में इन दिनों कबूतरों के दाना डालने पर रोक लगा दी गई है। कहा जा रहा है कि कबूतरों को दाना डालने से सेहत को नुकसान पहुंचता है और कई गंभीर बीमारियों को जन्म देता है। कबूतरों को दाना डालने की यह परंपरा काफी पुरानी है जो खास तौर पर मुंबई, दिल्ली, जयपुर जैसे शहरों में दिखाई देती है। यहां पर लोग कबूतरों का दाना डालकर पुण्य का काम करते है।

भले ही यह पुण्य का काम है लेकिन अब यह इंसान की सेहत के लिए नुकसान दिलाने का काम कर रहा है। कबूतरों को दाना डालने के इस कल्चर को सेहत के लिए सही नहीं बताते हुए मुंबई के हेल्थ एक्सपर्ट ने बात कही है।

कबूतर को दाना डालने की आदत नुकसानदायक क्यों

यहां पर मुंबई स्थित सैफी अस्पताल में क्रिटिकल केयर मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रमुख और कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ. दीपेश जी अग्रवाल ने कबूतर को दाना डालने की इस आदत को नुकसानदायक बताया है। मुंबई जैसे बड़े शहरों में कबूतर को दाना डालने की आदत नुकसान पहुंचाने का काम करती है। इसे लेकर हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि, ‘जब भोजन आसानी से मिलने लगता है, तो कबूतरों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है, जिससे उनकी जनसंख्या में बढ़ोतरी और पर्यावरणीय असंतुलन हो सकता है।’ अर्बन इकोलॉजिस्ट इन्हें अक्सर ‘उड़ने वाले चूहे’ कहते हैं, क्योंकि ये चूहों की तरह तेजी से प्रजनन, रोग फैलाने की क्षमता और सार्वजनिक स्थानों को नुकसान पहुंचाने का काम करता है।

कबूतर बन रहे है उड़ने वाले चूहे

हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि, एक ही जगह पर बड़ी संख्या में कबूतर दाना चुगने के लिए पहुंचते है। यह चूहों की तरह तादाद में बढ़ते है जिन्हें उड़ने वाले चूहे कहते है। इस तरह से संख्या बढ़ने से सेहत को खतरा बढ़ने लगता है। दाना डालने वाली आम जनता को इस बारे में जानकारी नहीं होती है कि, कबूतरों के संपर्क में आने से कई बीमारियों बढ़ सकती है। कबूतरों के बीट में यूरिक एसिड और अमोनिया की मात्रा अधिक होती है जो खतरनाक बैक्टीरिया और फंगल के खतरे को बढ़ा देती है।

इन बीमारियों का बढ़ता है खतरा (सौ. सोशल मीडिया)

इन बीमारियों का बढ़ता है खतरा

कबूतरों को दाना डालने की वजह से कई बड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है जिसकी जानकारी कम ही लोगों को होती है…

  • हिस्टोप्लास्मोसिस: यह बीमारी कबूतरों के संपर्क में आने से फैलती है। जिसमें कबूतरों सूखी बीट के स्पोर्स को सांस के जरिए अंदर लेने से होने वाला एक फंगल फेफड़ों का संक्रमण फैलता है। यह सेहत पर बुरी तरह खतरा बढ़ाता है।
  • सिटाकोसिस (तोता बुखार): कबूतरों से फैलने वाली बीमारी होती है। यहां पर कबूतरों के एक बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी जो गंभीर निमोनिया जैसी हो सकता है।
  • क्रिप्टोकॉकोसिस: यह बीमारी कबूतरों के संपर्क में आने से फैलती है। दरअसल एक और फंगल इंफेक्शन है, जो फेफड़ों और दिमाग को प्रभावित कर सकता है।
  • हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस: कबूतरों के पंखों और बीट के कणों को सांस के जरिए अंदर लेने से होने वाली एक एलर्जिक लंग डिजीज होती है। लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से फेफड़े परमानेंट खराब हो सकते है।

ये भी पढ़ें– मुंबई में 918 कबूतरों की मौत के बाद मचा बवाल, सड़कों पर उतरा जैन समाज, CM को देना पड़ा ये निर्देश

कौन से लक्षण आते है नजर

कबूतरों से फैलने वाली इन बीमारियों की वजह से इंसानों के शरीर में कई लक्षण नजर आते है। पुरानी खांसी, सांस फूलना और फेफड़ों में सूजन जैसी रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम्स बढ़ती है। यह कबूतरों के बीच ज्यादा देर तक रहने के दौरान नजर आते है। इस बारे में लोग नहीं जानते है और गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते है। दाने के अलावा ब्रेड और बिस्कुट जैसे हाई प्रोटीन प्रोसेस्ड फूड अगर कबूतरों को खिलाया जाएगा तो यह हेल्थ पर बुरा असर डालता है। अगर आसानी से कबूतरों को खाना मिल जाएगा तो उनके बीच आक्रामक व्यवहार हावी रहेगा। दरअसल कबूतरों की बीट से फैलने वाली इन बीमारियों का सबसे ज्यादा खतरा बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को होता है। इस वजह से सरकार लोगों को सतर्क कर रही है कि, अपनी सेहत को सही रखने के लिए आप कबूतरों से ज्यादा संपर्क ना बढ़ाएं।

Habit of feeding pigeons increases the risk of these diseases

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Published On: Aug 07, 2025 | 02:01 PM

Topics:  

  • Health News
  • Lifestyle News
  • Mumbai News

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