होलिका दहन के धुएं से बीमारी होती है दूर (सौ.सोशल मीडिया)
Holika Dahan 2025: रंगों का सबसे बड़ा त्योहार यानि होली आने में जहां पर दो-तीन दिन शेष बच गए है वहीं पर इस त्योहार के सेलिब्रेशन की तैयारियां जारी है। होली के त्योहार का सांस्कृतिक और धार्मिक दोनों तरह का महत्व होता है। इस त्योहार का नाता आयुर्वेद से भी होता है जहां पर इससे शारीरिक तंदुरूस्ती होती है। चलिए जानते है आयुर्वेद में होलिका दहन का क्या अर्थ होता है इसे आयुर्वेद विशेषज्ञ कैसे कारगर मानते है।
यहां पर आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा ने होलिका दहन को आयुर्वेद से जोड़ते हुए बात कही है। इसके अनुसार, यह त्योहार सर्दियों से वसंत के मौसम में होने वाले संक्रमण के साथ जुड़ा हुआ है। यानि जब मौसम बदलता है जिसमें बढ़ती गर्मी के कारण शरीर में जमा कफ बाहर निकलता है तो उस समय मौसमी बदलाव कफ व्याधि जैसी समस्याओं को जन्म देता है। इसके अलावा पेट की बीमारियों में हैजा और चेचक की समस्या भी देखने के लिए मिलती है।
इसकी वजह से आयुर्वेद में इसे प्रमुखता से रखा गया। इन समस्याओं से बचने के लिए पुराने जमाने में ऋषियों ने होलिका दहन जैसे अनुष्ठानों का सुझाव दिया था। यहां पर होलिका दहन को प्राकृतिक शारीरिक शुद्धि का जरिया बताया गया है जो कीटाणुओं को खत्म करके पर्यावरण को शुद्ध करता है।
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बताते चलें कि, होलिका दहन का नाता स्वास्थ्य से जुड़ा होता है जहां पर जब दहन किया जाता है तो उससे निकला धुंआ कई बीमारियों को नाश करने का काम करता है। यहां पर आग का धुआं गाय के गोबर के उपलों, कपूर और नारियल की लकड़ी से बनता है. कथित तौर पर रोगाणु-नाशक गुण होते हैं। इन होलिका दहन रूप अनुष्ठान के किए जाने से वातावरण तो शुद्ध होता ही है साथ ही संक्रामक रोग दूर होते है। होलिका दहन निवारक स्वास्थ्य उपायों का एक अभिन्न अंग बन जाता है. इन परंपराओं को अपनाकर लोग न केवल गुलाल या अबीर के साथ खेलने जैसे आनंदमय उत्सवों में भाग लेते हैं।