डिजिटल सनसेट (सौ.सोशल मीडिया)
Benefits of Digital Sunset: आपके शरीर का नर्वस सिस्टम केवल 24/7 इनपुट के लिए बेस्ट नहीं होता है इसे समय-समय पर मानसिक और शारीरिक सुकून की जरूरत भी होती है। अक्सर हम लोग मोबाइल और लेपटॉप का ही इस्तेमाल करते है यह जीवन का अनमोल हिस्सा बनते जा रहा है। लेकिन क्या आपने सोचा है कभी यह हमारे शरीर के लिए कितना नुकसानदायक साबित होते है। अगर आप डिजिटल चीजों से दूरी बनाते है यानि कुछ देर के लिए स्विच ऑफ करते है तो यह आपके लिए अच्छा होता है। यहां पर इस टर्मिनोलॉजी को डिजिटल सनसेट कहते है। यह हमारी सेहत के लिए ब्रम्हास्त्र के तौर पर काम करता है।
यहां डिजिटल सनसेट यानि दिन ढलने के बाद, विशेष रूप से सोने से एक से दो घंटे पहले, डिजिटल उपकरणों से पूरी तरह दूरी बना लेने की। यह सुनने में अजीब लगता है लेकिन आपके लिए फायदेमंद होता है। इसे लेकर हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्क्रीन से निकलने वाली ‘ब्लू लाइट’ मेलाटोनिन नामक हार्मोन के सीक्रेशन को बाधित करती है, यही हार्मोन नींद को नियंत्रित करता है। इससे नींद की गुणवत्ता गिरती है और अनिद्रा की समस्या हो सकती है।सोशल मीडिया, गेमिंग, या ऑफिस के ईमेल पढ़ने से मस्तिष्क में ‘डोपामिन’ रिलीज होता है, जिससे हम अलर्ट महसूस करते हैं।
यह प्रक्रिया सोने से पहले मस्तिष्क को शांत होने नहीं देती। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ और निमहंस जैसी संस्थाओं के अध्ययन बताते हैं कि नींद की कमी से तनाव, अवसाद और चिंता जैसी मानसिक समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं और डिजिटल सनसेट इस चक्र को तोड़ सकता है।
1- अगर आप डिजिटल सनसेट का फायदा उठाते है तो नींद आपकी बेहतर होती है इसकी गुणवत्ता बढ़ती है। जब हम सोने से पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से दूरी बनाते हैं, तो हमारा दिमाग स्वाभाविक रूप से शांत होने लगता है। इस समय का उपयोग आप किताब पढ़ने, ध्यान करने, हल्के व्यायाम या परिवार से बातचीत में कर सकते हैं। यह न सिर्फ आपके नींद के अनुभव को बेहतर बनाता है, बल्कि मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक संतुलन भी बढ़ाता है।
2-बच्चों और किशोरों के लिए भी यह आदत बेहद जरूरी है, क्योंकि उनका मस्तिष्क अभी विकास की अवस्था में होता है। अगर बचपन से ही उन्हें डिजिटल उपकरणों के सीमित उपयोग की आदत डाली जाए, तो उनकी एकाग्रता और रचनात्मकता कई गुना बढ़ सकती है।
3- यह डिजिटल सनसेट एक ऐसी आदत जो आज के समय में हर व्यक्ति को अपनानी चाहिए। बताया जाता है कि, सोने से पहले स्क्रीन से दूर रहना एक छोटा सा फैसला है, लेकिन यह आपकी नींद, आपकी सोच और आपके पूरे जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकता है।
4- तो क्यों न आज से ही तय किया जाए कि रात को सोने से पहले कुछ घंटों के लिए ‘स्क्रीन’ को “शुभरात्रि” कह दिया जाए—ताकि हम खुद को एक शांत, सुकूनभरी और स्वस्थ नींद का उपहार दे सकें।
आईएएनएस के अनुसार