फेफड़ों का कैंसर पता लगाना हुआ आसान (सौ.सोशल मीडिया)
Lungs Cancer Detect: दुनियाभर में कैंसर की बीमारी सबसे बड़ी बीमारियों में से एक है जिसका इलाज मिल पाना अब आसान होता जा रहा है। फेफड़े के कैंसर के बढ़ते मामलों के बीच बड़ी खुशखबरी सामने आई है जहां पर वैज्ञानिकों ने नई तकनीक ईजाद की है। इस तकनीक के जरिए अब फेफड़ों के कैंसर का पता लगा पाना आसान हो जाएगा। अगर इस तकनीक से कैंसर का पता चल जाता है तो इलाज करने की प्रोसेस शुरु हो जाती है।
फेफड़ों के कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए चीन और स्पेन के शोधकर्ताओं ने नई तकनीक का अविष्कार किया है। इस नई तकनीक के आने से फेफड़ों के कैंसर का पता प्रभावी ढ़ंग से लगाया जा सकेगा। इस तकनीक की बात की जाए तो, इसमें मेटल लगे सेंसर का इस्तेमाल किया जाता है। इस सेंसर की बात करें तो, काफी पतला यानि बाल से भी ज्यादा पतला होता है। यहां पर इस सेंसर को नैनोफ्लेक्स के नाम से जाना जाता है जो प्लेटिनम, इडियम और निकेल को मिलाकर तैयार किया जाता है। फेफड़े के कैंसर को आसानी से डिटेक्ट किया जाता है।
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यहां पर फेफड़े के कैंसर के लिए ईजाद की गई इस तकनीक की बात करें तो, स्टडी में वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया कि, फेफड़ों के कैंसर के रोगियों की सांस में रसायन का स्तर कैंसर से मुक्त हो चुके लोगों की तुलना काफी कम था। यहां पर इस तकनीक में मौजूद सेंसर किसी व्यक्ति की सांस में शामिल आइसोप्रीन को सही तरह से माप कर सकता है। इसके अलावा इसमें विशेषज्ञों को एक माप के साथ काम करना जरूरी होता है।
इसके अलावा इसमें प्रति बिलियन भागके रूप में जाना जाता है। हालिया शोध में रिसर्चर ने पता लगाया है कि, शोधकर्ताओं ने आइसोप्रीन के 2 पीपीबी तक कम स्तर का पता लगाया है।वैज्ञानिकों ने अमेरिकन केमिकल सोसाइटी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में 13 सांस के नमूनों का विश्लेषण करने के लिए डिवाइस का उपयोग किया