खेमका की एक और रिपोर्ट से हरियाणा सरकार में करोड़ों के घोटाले का खुलासा
Haryana Government Happy Card Scheme: हरियाणा में गरीबों को मुफ्त बस यात्रा का लाभ देने वाली महत्वाकांक्षी हैप्पी कार्ड योजना (हरियाणा अंत्योदय परिवार परिवहन योजना ) अब विवादों के घेरे में है। यह योजना पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में शुरू की गई थी, लेकिन अब ये सरकार के लिए ही सिरदर्द बन गई है। इस मामले में नया मोड़ तब आया है जब राज्य के परिवहन मंत्री अनिल विज ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से इसमें हुई कथित अनियमितताओं की जांच कराने की मांग करने की बात कही है। यह पूरा विवाद रॉबर्ट वाड्रा की लैंड डील रद्द कर देश भर में चर्चित हुए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की एक रिपोर्ट के बाद राज्य में खड़ा हो गया है।
हैप्पी कार्ड योजना मार्च 2024 में उन परिवारों के लिए शुरू की गई थी जिनकी वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम है। इसके तहत पात्र परिवारों को हरियाणा रोडवेज की बसों में हर साल 1,000 किलोमीटर तक की मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलनी थी। सरकार का लक्ष्य इस योजना से लगभग 84 लाख लोगों को फायदा पहुंचाना था। लेकिन अब इस योजना पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं, जिससे इसके भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है। अब तक 10,91,180 परिवारों को यह कार्ड बांटे जा चुके हैं, लेकिन अब नए कार्डों का निर्माण रोक दिया गया है।
दिसंबर 2024 में परिवहन विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक खेमका ने अपनी रिपोर्ट में इस योजना में भारी गड़बड़ियों का खुलासा किया था। उन्होंने बताया कि कार्ड बनाने का ठेका बिना किसी प्रतिस्पर्धी बोली के मुंबई की एक कंपनी को दे दिया गया, जिससे सरकारी खजाने को करीब 180 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी को प्रति कार्ड 159.30 रुपये का भुगतान तय किया गया, जिसमें न्यूनतम 50 लाख कार्ड की गारंटी दी गई। इसके अलावा, दूसरे साल से हर कार्ड पर 79.06 रुपये का वार्षिक रखरखाव शुल्क भी लगाया गया, जिसे खेमका ने बहुत ज्यादा बताया और कहा न्यूनतम सेवा के लिए इतना शुल्क नहीं देना चाहिए।
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खेमका ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रधान सचिव वी. उमाशंकर से भी सवाल किया था कि क्या योजना को मंजूरी देने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री को बाजार की सही कीमतों की जानकारी दी गई थी। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद परिवहन मंत्री अनिल विज ने इसे “बेहद गंभीर मामला” बताते हुए जांच समिति बनाने की सिफारिश की। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने जांच के आदेश भी दिए है, लेकिन प्रशासनिक फेरबदल के कारण जांच में देरी हो रही है। अशोक खेमका 30 अप्रैल 2025 को सेवानिवृत्त हो गए, और उनके बाद आए अधिकारी का भी तबादला हो गया, जिससे मामला ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है।