रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (सोर्स- सोशल मीडिया)
Rajnath Singh Nehru Babri: वडोदरा के पास साधली गांव में एक सभा को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ा राजनीतिक बयान दिया। उन्होंने दावा किया कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सरकारी धन से बाबरी मस्जिद बनवाना चाहते थे। राजनाथ सिंह के अनुसार, सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया और इसे रोक दिया। इस बयान के साथ राजनाथ सिंह ने नेहरू और पटेल के विचारों में मतभेदों को भी उजागर किया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू अयोध्या में बाबरी मस्जिद के निर्माण के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग करना चाहते थे। उन्होंने बताया कि अगर किसी ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था, तो वह सरदार वल्लभभाई पटेल थे। राजनाथ सिंह ने कहा कि पटेल ने स्पष्ट रूप से सार्वजनिक धन का धार्मिक निर्माण में उपयोग होने से रोक दिया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि असली धर्मनिरपेक्षता वही है, जहां जनता की भावना का सम्मान हो और तुष्टीकरण की राजनीति न की जाए। उन्होंने कहा कि राम मंदिर और सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण में सरकार का एक पैसा भी इस्तेमाल नहीं हुआ, पूरा खर्च जनता ने उठाया।
राजनाथ सिंह के अनुसार, नेहरू और पटेल के बीच कई मुद्दों पर मतभेद थे, लेकिन पटेल ने गांधीजी के प्रति अपने वचन के चलते नेहरू के साथ काम किया। उन्होंने कहा कि 1946 में पटेल प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन उन्होंने सत्ता की लालसा कभी नहीं की और अपना नाम वापस ले लिया।
राजनाथ सिंह ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक ताकतें पटेल की विरासत को हमेशा दबाने की कोशिश करती रहीं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनवाकर उन्हें उचित सम्मान दिलाया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि कश्मीर समस्या का समाधान बहुत पहले हो सकता था अगर पटेल के सुझावों को माना जाता। सिंह ने कहा कि पटेल बातचीत के माध्यम से समाधान में विश्वास करते थे, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर कठोर निर्णय लेने से भी पीछे नहीं हटे।
उन्होंने कहा कि हैदराबाद के विलय के दौरान पटेल के दृढ़ रुख ने देश को एक बड़ी जीत दिलाई। मोदी सरकार ने भी ऑपरेशन सिंदूर के जरिए इस सोच को आगे बढ़ाया, जिसने भारत की शक्ति को पूरी दुनिया में साबित किया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि पटेल की मृत्यु के बाद जनता ने उनके स्मारक के लिए धन इकट्ठा किया, लेकिन नेहरू ने सुझाव दिया कि यह पैसा गांवों में कुएं और सड़कें बनाने में खर्च होना चाहिए। राजनाथ सिंह ने इस प्रस्ताव को बेतुका और विरासत दबाने वाला बताया।उन्होंने सवाल उठाया कि नेहरू खुद भारत रत्न प्राप्त कर सकते थे, लेकिन पटेल को उस समय यह सम्मान क्यों नहीं मिला?
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राजनाथ सिंह का यह बयान आगामी राजनीतिक चर्चा को और तेज करने वाला है। उनके अनुसार, पटेल ने देशहित, राष्ट्रीय एकता और निष्पक्ष धर्मनिरपेक्षता के लिए हमेशा मजबूत भूमिका निभाई।