प्रतीकात्मक फोटो, सोर्स- सोशल मीडिया
ED Raid in Gujrat: ईडी के सूरत उप-क्षेत्रीय कार्यालय ने साइबर-सक्षम वित्तीय अपराधों पर बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने 100 करोड़ रुपए से अधिक की साइबर धोखाधड़ी से जुड़ी एक व्यापक मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
सूरत में गिरफ्तार किए गए आरोपियों में मकबूल अब्दुल रहमान डॉक्टर, काशिफ मकबूल डॉक्टर, महेश मफतलाल देसाई और ओम राजेंद्र पांड्या शामिल हैं। चारों को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 19 के तहत हिरासत में लिया गया है।
ईडी की यह कार्रवाई सूरत पुलिस के विशेष अभियान समूह (SOG) द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी पर आधारित है। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि मकबूल डॉक्टर और उसके सहयोगी आम नागरिकों को निशाना बनाकर कई साइबर धोखाधड़ी में शामिल थे। आरोपियों ने लोगों को झांसा देने के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय और प्रवर्तन निदेशालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के नाम से फर्जी नोटिस जारी किए और भय का माहौल बनाया।
ईडी की जांच में सामने आया कि मकबूल डॉक्टर के बेटों काशिफ और बासम सहित आरोपियों ने फर्जी विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स) ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ जैसे झूठे दावे कर कई लोगों से करोड़ों रुपये ठग लिए। यह रकम एक जटिल नेटवर्क के जरिए हवाला ऑपरेटरों और क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से विदेश भेजी गई।
जांच अधिकारियों ने पाया कि ठगों ने कर्मचारियों, रिश्तेदारों और किराए पर लिए गए व्यक्तियों के नाम पर कई बैंक खाते खोले। इन खातों के जरिए अवैध धन को घुमाकर छिपाया गया। साथ ही, उन्होंने पहले से सक्रिय सिम कार्ड धोखाधड़ी से हासिल किए ताकि बैंकिंग लेनदेन का पता न चल सके।
ईडी के अनुसार, ठगों ने प्राप्त रकम को क्रिप्टोकरेंसी विशेष रूप से टीथर (USDT) में बदलकर विदेशी वॉलेट्स में ट्रांसफर किया। इससे वे नियामकीय निगरानी से बच सके। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि इन फंड्स का इस्तेमाल महंगी संपत्तियों और लग्जरी वाहनों की खरीद में किया गया।
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गिरफ्तार किए गए चारों आरोपियों को अहमदाबाद की विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत ने उन्हें पांच दिनों की ईडी हिरासत में भेज दिया है। एजेंसी को उम्मीद है कि पूछताछ में कई अन्य नाम और कंपनियां सामने आ सकती हैं। ईडी ने कहा कि जांच जारी है और जल्द ही इस नेटवर्क से जुड़ी और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।