गाेवा विश्वविद्यालय (सोर्स: सोशल मीडिया)
पणजी: देश पिछले कई सालों से पेपर लीक के मामले सामने आ रहे है। अब गोवा से भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है। यहां एक विश्वद्यालय में पेपर लीक हो गया। इस मामले में यूनिवर्सिटी के एक प्राध्यापक पर कार्रवाई भी हो गई है। प्राध्यापक पर एक छात्रा को प्रश्नपत्र बताने का आरोप है।
गोवा विश्वविद्यालय में एक छात्रा के लिए स्नातकोत्तर के भौतिक विज्ञान का प्रश्नपत्र लीक कराने के आरोप में सोमवार को संस्थान के एक सहायक प्राध्यापक को निलंबित कर दिया गया और उसके खिलाफ जांच शुरू कर दी गई।
इस मामले में जांच लंबित तक गोवा विश्वविद्यालय के कुलपति हरिलाल बी. मेनन ने ‘स्कूल ऑफ फिजिकल एंड एप्लाइड साइंसेज’ के सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रणव पी नाइक को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया है। डॉ. नाइक पर एक छात्रा को प्रश्नपत्र बताने का आरोप है।
कुलपति मेनन ने सोमवार को कहा कि इस मामले में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित कर दी है, जो 48 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। सहायक प्राध्यापक के खिलाफ प्रश्नपत्र लीक करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में दो शिकायतें दर्ज करवाई गईं।
पहली शिकायत रविवार को कार्यकर्ता काशीनाथ शेट्टी और अन्य समान विचारधारा वाले नागरिकों द्वारा दर्ज कराई गई थी, जबकि कांग्रेस से संबद्ध भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) ने सोमवार को अगासैम थाने में शिकायत दर्ज कराई। विश्वविद्यालय परिसर अगासैम थाना क्षेत्र में आता है।
शिकायतकर्ताओं ने सहायक प्राध्यापक नाइक पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी कथित प्रेमिका को अधिकतम अंक प्राप्त करने में मदद करने के लिए प्रश्नपत्र चोरी किए और अन्य छात्रों को धोखा दिया गया। उन्होंने कहा कि गोवा विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ मिलकर साजिश रची गई है।
एनएसयूआई नेता नौशाद चौधरी ने कहा कि प्रश्नपत्र की चोरी परीक्षा में शामिल हुए कई अन्य छात्रों के साथ अन्याय है। उन्होंने दावा किया कि जो छात्रा पढ़ाई में औसत है उसने परीक्षा में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है, जबकि रात-रात भर पढ़ाई करने वालों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है।
यह मुद्दा तब और जोर पकड़ गया जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को कुलपति के कक्ष के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और इस मुद्दे पर उनकी चुप्पी पर सवाल उठाया।
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एबीवीपी के एक नेता ने कहा कि प्रश्नपत्र को दोबारा से तैयार किया जाना चाहिए था और सहायक प्राध्यापक के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए थी। यह परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों के प्रति अन्याय है।