अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना (फोटो-सोर्स,सोशल मीडिया)
Khoon Pasina Film: 1970 के दशक में हिंदी सिनेमा में कई यादगार फिल्में बनीं, लेकिन एक खास किस्सा हमेशा चर्चा में रहा है। जब बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने अपने करियर में एक बड़ी छलांग लगाई थी, उसकी पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है। फिल्म ‘खून पसीना’ ने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाई, बल्कि अमिताभ बच्चन के करियर के एक बेहतरीन सफर रहा।
दरअसल, शुरुआती दौर में अमिताभ बच्चन को लीड रोल मिलना इतना आसान नहीं था। उन्होंने कई फिल्मों में संघर्ष किया, लेकिन सफलता धीरे-धीरे मिली। इसी बीच ओम प्रकाश मेहरा के करीबी दोस्त और असिस्टेंट डायरेक्टर राकेश कुमार ने 70 के दशक में फिल्म ‘खून पसीना’ की कहानी लिखी। राकेश कुमार ने लीड रोल के लिए शुरुआती तौर पर विनोद खन्ना का नाम फाइनल किया था, जबकि सेकेंड लीड के लिए डैनी डेंजोंगप्पा को चुना गया था।
लेकिन कहानी में बड़ा ट्विस्ट आया, जब ओम प्रकाश मेहरा ने प्रोड्यूसर बनने का फैसला किया। उन्होंने राकेश कुमार से कहा कि इस फिल्म का लीड रोल अमिताभ बच्चन को देना अनिवार्य है। अमिताभ और ओम प्रकाश मेहरा की दोस्ती बेहद गहरी थी, और मेहरा चाहते थे कि बिग बी को बड़ा मौका मिले।
राकेश कुमार के लिए यह बहुत मुश्किल निर्णय था, क्योंकि उन्होंने पहले ही विनोद खन्ना से इस प्रोजेक्ट के बारे में बातचीत कर ली थी। उन्हें यह समझाना कठिन था कि विनोद खन्ना को सेकेंड लीड रोल में क्यों जाना पड़ेगा। इसके अलावा, डैनी डेंजोंगप्पा को भी इस फिल्म से बाहर किया गया।
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फिल्म के लिए विनोद खन्ना ने दोस्ती और इंडस्ट्री के लिहाज से सेकेंड लीड रोल स्वीकार कर लिया। लेकिन डैनी डेंजोंगप्पा को पूरी तरह से बाहर कर दिया गया। यह निर्णय उस समय काफी विवादित माना गया। हालांकि, यह 1977 में रिलीज हुई ‘खून पसीना’ ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता हासिल की। फिल्म की कहानी में एक्शन, ड्रामा और भावनाओं का बेहतरीन मिश्रण था, जिसने दर्शकों का दिल जीत लिया। इस ब्लॉकबस्टर से अमिताभ बच्चन का करियर नई ऊंचाइयों पर पहुंचा और उन्होंने बॉलीवुड में खुद को एक बड़े स्टार के रूप में स्थापित किया।