शारदा सिन्हा (सौजन्य: सोशल मीडिया)
मुंबई: दिग्गज लोक गायिका शारदा सिन्हा एक जानी मानी सिंगर हैं। 1 अक्टूबर 1952 को बिहार में जन्मी शारदा सिन्हा का ससुराल बेगूसराय जिले के सहमा गांव में है। शारदा सिन्हा का गांव की बहुरिया से लेकर मैथिल कोकिला बनने का सफर आसान नहीं था। एक बार शारदा सिन्हा ने बताया था कि कैसे जब उन्होंने शादी के बाद भी गाना जारी रखा, तो उनके ससुराल वालों ने विरोध किया था, लेकिन उनके पति का पूरा सपोर्ट था।
राजनीति शास्त्र के अध्यापक डॉक्टर बृज किशोर सिन्हा ने शारदा सिन्हा की शादी हुई थी। शारदा सिन्हा की सास नहीं चाहती थी कि वह गाना गए। उन्हें ठाकुरबाड़ी में भी गाने से रोक दिया जाता था। हालांकि वक्त के साथ हालात बदल दे और साल 1971 में उनके जीवन में बड़ा मोड़ आया। शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड में काफी कम गाने गए हैं। उनके गानों को दर्शकों का खूब प्यार मिला है।
ये भी पढ़ें- शारदा सिन्हा की हालत नाजुक, दिल्ली के एम्स में किया गया भर्ती
शारदा सिन्हा गांव से निकलकर शहर गई। इसके बाद फिर जिले और फिर पुरे देश में शो करने लगीं। शारदा सिन्हा ने अपने करियर की शुरुआत मैथिली लोक गीत गाकर की थी। शारदा मैथिली, भोजपुरी, मगही और हिंदी गाने गाती हैं। शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान और भाग्यश्री की फिल्में मैंने प्यार किया में गाना गया है। उन्होंने इस फिल्म ‘कहे तोसे सजना तोहरी सजनिया’ के लिए महज 76 रुपए फीस मिली थी।
फिल्म हम आपके हैं कौन का गाना ‘बाबुल जो तूने सिखाया’ काफी लोगप्रिय है। फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर का गाना ‘तार बिजली से पतले हमारे पिया’ आज गाना आज भी लोगों की जुबान पर रहता है। वेब सीरीज महारानी में ‘निरमोहिया’ गाना भी लोगों से काफी पसंद किया है। बता दें कि गेम्स ऑफ वासेपुर के गाने के लिए शारदा को 75 रुपये फीस मिली थीं।
साल 1991 में संगीत में शारदा सिन्हा के योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार मिला। शारदा सिन्हा को साल 2018 में गणतंत्र दिवस की पूर्ण संध्या पर भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। शारदा सिन्हा ने विवाह ही विवाह गीत छठ गीत जैसे कई क्षेत्र जीत गए हैं। बता दें कि शारदा सिन्हा दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती है। शारदा सिन्हा की तबीयत बेहद नाजुक है।