संजय कपूर, प्रिया सचदेवा (फोटो-सोर्स,सोशल मीडिया)
Sunjay Kapur Wife Priya Sachdev Against Forensic Testing: करिश्मा कपूर के पूर्व पति और दिग्गज उद्योगपति संजय कपूर की मौत के बाद उनकी 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति और वसीयत को लेकर चल रहा विवाद अब और उलझ गया है। इस हाई-प्रोफाइल केस में नया ट्विस्ट तब आया, जब संजय की तीसरी पत्नी प्रिया सचदेव कपूर ने वसीयत की फॉरेंसिक जांच कराए जाने का खुलकर विरोध कर दिया। वहीं, वसीयत की एक्जीक्यूटर के बार-बार बदलते बयानों ने पूरे मामले को और संदेहास्पद बना दिया है।
मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट के जॉइंट रजिस्ट्रार गगनदील जिंदल के सामने सुनवाई के दौरान प्रिया कपूर ने साफ कहा कि वसीयत की फॉरेंसिक जांच की जरूरत नहीं है। प्रिया का दावा है कि संजय कपूर की निजी संपत्ति और सोना कॉमस्टार ग्रुप, जिसकी वैल्यू 30,000 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है, उसी वसीयत के आधार पर उन्हें मिलनी चाहिए। गौरतलब है कि संजय कपूर का 12 जून 2025 को इंग्लैंड में कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया था, जिसके बाद से ही परिवार में कानूनी जंग छिड़ी हुई है।
दूसरी ओर, करिश्मा कपूर और संजय कपूर के बच्चे समायरा और कियान राज इस वसीयत को लेकर सवाल उठा रहे हैं। बच्चों की ओर से मांग की गई है कि यह स्पष्ट करने के लिए कि वसीयत असली है या नहीं, इसकी फॉरेंसिक और वैज्ञानिक जांच कराई जानी चाहिए। उनका कहना है कि बिना जांच के वसीयत को मान्य नहीं ठहराया जा सकता।
वसीयत पर शक तब और गहरा गया, जब इसकी एक्जीक्यूटर श्रद्धा सूरी मारवाह ने तीन बार अपना बयान बदला। पहले उन्होंने कोर्ट को बताया कि उन्हें 24 जून को प्रिया कपूर से वसीयत मिली थी। बाद में उन्होंने कहा कि यह वसीयत उन्हें 14 जून को दिनेश अग्रवाल से मिली थी। अब एक बार फिर उन्होंने अपने पहले बयान पर लौटते हुए कहा है कि प्रिया कपूर ने ही उन्हें वसीयत सौंपी थी। श्रद्धा सूरी ने अदालत में यह भी स्वीकार किया कि उनका पिछला बयान गलत था।
इतना ही नहीं, श्रद्धा सूरी ने यह भी कहा कि उन्हें न तो वसीयत की पूरी जानकारी थी और न ही यह पता था कि उन्हें इसका एक्जीक्यूटर बनाया गया है। उन्हें किसी तरह की स्वतंत्र कानूनी सलाह भी नहीं मिली थी।
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करिश्मा कपूर के बच्चों की ओर से पेश वकील महेश जेठमलानी ने दलील दी कि भारतीय कानून के अनुसार, बिना सहमति के किसी को वसीयत का एक्जीक्यूटर नियुक्त नहीं किया जा सकता। अगर वसीयत कानूनी जांच में असफल होती है, तो संजय कपूर की संपत्ति सभी वैध वारिसों में समान रूप से बांटी जाएगी, जिसमें वे बच्चे भी शामिल होंगे जिन्हें वसीयत से बाहर रखा गया है। अब दिल्ली हाईकोर्ट इस पूरे मामले पर अगली सुनवाई 20 जनवरी 2026 को करेगा, जिसमें वसीयत की फॉरेंसिक जांच और एक्जीक्यूटर के संशोधित बयान पर फैसला लिया जाएगा।