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Phule Movie Review: पैरेलल सिनेमा को जिंदा रखती है ‘फुले’ जैसी फिल्म, प्रतीक-पत्रलेखा की शानदार परफॉर्मेंस

Phule Movie Review: प्रतीक गांधी और पत्रलेखा की फिल्म 'फुले' एक बेहतरीन फिल्म है। फिल्म देखकर यह कहा जा सकता है कि ऐसी ही फिल्मों ने बॉलीवुड में पैरेलल सिनेमा को जिंदा रखा है।

  • By अनिल सिंह
Updated On: Apr 25, 2025 | 10:02 AM

अवार्ड विनिंग परफॉर्मेंस से भरपूर है प्रतिक गांधी और पत्रलेखा की फुले फिल्म

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Phule Film Review: फुले फिल्म भारतीय सिनेमा की उन फिल्मों में अपना नाम दर्ज करवा चुकी है जिन्हें भारत की बेहतरीन फिल्में कहा जाता है। इस फिल्म में भारतीय समाज के उस कड़वे सच को दिखाया गया है जिसे तोड़ने में सैकड़ो साल की मेहनत लगी। समाज सुधारकों को कड़ा संघर्ष करना पड़ा, जिस वजह से अब महिलाओं की शिक्षा पर कोई रोक-टोक नहीं है। यह फिल्म मसाला फिल्म नहीं है। यह फिल्म दर्शकों की भीड़ सिनेमाघरों तक जुटा पाएगी इसकी भी गारंटी नहीं है, लेकिन यह बेहतरीन फिल्म है क्योंकि ऐसी ही फिल्मों की बदौलत बॉलीवुड में पैरेलल सिनेमा आज भी जिंदा है।

कहानी
फुले फिल्म की कहानी महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले की है। उस समय लड़कियों को पढ़ना पाप माना जाता था। देश में बाल विवाह, सती प्रथा और छुआछूत जैसी कुरीतियां समाज में मौजूद थी। ज्योतिबा फुले ने तत्कालीन समाज के खिलाफ जाकर लड़कियों को शिक्षा देने की शुरुआत की, उन्होंने समाज में मौजूद कुरीतियों का विरोध किया, जिसके लिए उन्हें न सिर्फ आलोचना झेलनी पड़ी बल्कि लोगों के गुस्से का शिकार भी होना पड़ा। उन्होंने विरोध के बावजूद यह सब कुछ कैसे किया यही फुले फिल्म की कहानी है, जिसे सिनेमाघरों तक जाकर आपको भी देखना चाहिए।

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एक्टिंग
फिल्म में प्रतीक गांधी और पत्रलेखा ने अपनी एक्टिंग से दिल जीतने का काम किया है। ये कहा जा सकता है क्योंकि जब फिल्म में एक्टर को देखते-देखते आप यह समझने लगे कि उसका किरदार असल में आपके सामने है तो यह उस एक्टर की सफलता की सबसे बड़ी मिसाल होती है। प्रतीक गांधी में ज्योतिबा फुले और पत्रलेखा में सावित्रीबाई फुले ही नजर आ रही हैं और यही उनके जीवंत एक्टिंग की सबसे बड़ी सफलता है। प्रतीक और पत्रलेखा ने ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के अलग-अलग उम्र के किरदारों को निभाया है और वह हर उम्र के किरदार के साथ न्याय करते हुए नजर आए हैं। पत्रलेखा और प्रतीक गांधी की एक्टिंग को 10 में 10 अंक मिल सकता है और उन्होंने अवॉर्ड विनिंग परफॉर्मेंस दी है यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा। प्रतीक गांधी अपनी हर फिल्मों से दर्शकों को कुछ नया देने में कामयाब हो रहे हैं।

डायरेक्शन
फिल्म का डायरेक्शन बॉलीवुड एक्टर अनंत महादेवन ने किया है। फिल्म देखकर यह कहा जा सकता है कि इस क्षेत्र में भी वह बेहतरीन कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी एक्टिंग के दर्शक पहले से मुरीद हैं और अब उनके डायरेक्शन ने भी दर्शकों का दिल जीत लिया है।

म्यूजिक
फुले फिल्म का संगीत कमाल का है। फिल्म का संगीत फिल्म के एहसास को खास बना देता है और यही उसके बेहतरीन होने का सबूत है। फिल्म का संगीत रोहन प्रधान और रोहन गोखले ने दिया है।

सिनेमैटोग्राफी
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी में ग्रामीण बैकग्राउंड को बेहतरीन तरीके से दिखाने की कोशिश की गई है। फिल्म में कुछ दृश्य बनावटी जरूर नजर आते हैं, लेकिन कहानी और फिल्म के प्रेजेंटेशन के प्रभाव उस कमी को दबा देते हैं। फिल्म की एडिटिंग भी बेहतरीन है, जिस सीन को जहां होना चाहिए वो वहीं पर मौजूद है।

क्यों देखें
हमारी मां-बहनों ने आसानी से पढ़ाई कैसे की? हमारी बेटी आसानी से स्कूल कैसे जा रही है? यह जानना चाहते हैं तो फिल्म जरूर देखना चाहिए। फिल्म के साथ आपको यह जानने का मौका भी मिलेगा की हमारी बेटी को पढ़ने का मौका मिले इसके लिए ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले ने क्या जुल्म सहे हैं।

Phule movie review in hindi pratik gandhi and patralekha film released in theatres

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Published On: Apr 25, 2025 | 10:02 AM

Topics:  

  • Bollywood News
  • Entertainment News
  • Indian Film

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