बंपर कमाई के बीच 'कांतारा चैप्टर 1' में बड़ी चूक, फैंस ने बताई बोतल रखने की इमोशनल वजह
Kantara Chapter 1 Mistake Shot: ऋषभ शेट्टी की फिल्म ‘कांतारा: ए लीजेंड- चैप्टर 1’ बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ कमाई कर रही है, जिसने 10 दिन में देशभर में 397.65 करोड़ का कलेक्शन कर कई रिकॉर्ड बना दिए हैं। हालांकि, बंपर सफलता के बीच, फिल्म के एक सीन में एक ऐसी बड़ी चूक (Blunder) हो गई है जिसकी चर्चा सोशल मीडिया पर ज़ोरों पर है। यूजर्स की ‘बाज़ जैसी’ तेज़ नजरों ने एक ऐतिहासिक दृश्य में प्लास्टिक की पानी की बोतल को पकड़ लिया है, और इस ‘मिस्टेक शॉट’ के स्क्रीनशॉट तेज़ी से वायरल हो रहे हैं।
यह ब्लंडर इतना बड़ा है कि दर्शक हैरान हैं और मेकर्स से सवाल पूछ रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यह गलती ट्रेंड कर रही है और कई यूजर्स इसकी तुलना मशहूर टीवी सीरीज ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ से कर रहे हैं, जिसके एक एपिसोड में भी टेबल पर स्टारबक्स का कप दिखा था। यह छोटी सी चूक, जो एडिटिंग और सेट डिजाइन के दौरान अनदेखी रह गई, अब फिल्म की बारीकियों पर सवाल उठा रही है।
वायरल हो रहा यह ब्लंडर फिल्म के गाने ‘ब्रह्मकलश’ के एक सीन में हुआ है। सीन में कुछ लोग ज़मीन पर बैठकर केले के पत्तों पर खाना खा रहे हैं, और उनके ठीक पीछे एक बड़ी प्लास्टिक की पानी की बोतल रखी हुई दिखाई दे रही है। इस गलती ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं क्योंकि फिल्म की कहानी चौथी शताब्दी ईस्वी के कदंब साम्राज्य पर आधारित है। यूजर्स पूछ रहे हैं कि जिस युग में प्लास्टिक का उपयोग लगभग न के बराबर था, वहाँ ऐसी आधुनिक चीज़ कैसे मौजूद हो सकती है? एक यूजर ने कटाक्ष करते हुए लिखा, “मुझे अभी पता चला कि कदंब लोग प्लास्टिक के पानी के डिब्बों का उपयोग करने वाले पहले लोग थे।”
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इस वायरल ब्लंडर पर अभी तक मेकर्स या ऋषभ शेट्टी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालाँकि, ऋषभ शेट्टी के फैंस ने उनका बचाव किया है और इसके पीछे एक भावनात्मक कारण बताया है। एक फैन ने दावा किया कि ऋषभ शेट्टी ने अपने करियर की शुरुआत में पानी की बोतलें बेचकर गुजारा किया था, और इस सीन में दिखाई गई बोतल उनकी उसी शुरुआती संघर्ष की निशानी है। फैंस का मानना है कि ऋषभ ने जानबूझकर यह बोतल रखी होगी ताकि वे अपनी जड़ों को न भूलें।
फिल्म में दिखी इस चूक पर दर्शकों ने निराशा भी जताई है। कई लोगों ने कहा कि यह चूक देखकर दुख हुआ, क्योंकि फिल्म में आमतौर पर बहुत अधिक सावधानी और बारीकियों पर ध्यान दिया गया है। ‘कांतारा चैप्टर 1’ जैसी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध फिल्म से इस तरह के सेट डिजाइन ब्लंडर की उम्मीद नहीं की जाती है। यह घटना यह दर्शाती है कि ऐतिहासिक फिल्मों में ‘पीरियड एक्यूरेसी’ (Period Accuracy) बनाए रखना कितना चुनौतीपूर्ण होता है।