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गीता दत्त को विरासत में मिला संगीत, गायिका की मधुर आवाज की प्रशंसक थी लता मंगेशकर

Geeta Dutt Birth Anniversary: गीता दत्त का जन्म 23 नवंबर 1930 को बंगाल में हुआ। संगीत विरासत में पाने वाली गीता दत्त 1500 से अधिक गानों की गायिका रहीं और लता मंगेशकर भी उनकी गायकी की प्रशंसक थीं।

  • By सोनाली झा
Updated On: Nov 23, 2025 | 10:40 AM

गीता दत्त (फोटो-सोशल मीडिया)

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Geeta Dutt Birth Anniversary Special Story: बॉलीवुड की दिग्गज गायिका गीता दत्त का जन्म 23 नवंबर 1930 को पूर्वी बंगाल के फरीदपुर जिले में हुआ था। गीता दत्त को संगीत बचपन से ही विरासत में मिला था। उनकी मां कविताएं लिखती थीं और पिता मुकुल रॉय एक नामचीन संगीतकार थे। परिवार की यही कला और संगीत का माहौल आगे चलकर गीता की पहचान बना। गीता दत्त की मधुर और भावपूर्ण आवाज ने बंगाली और हिंदी सिनेमा को अनगिनत नगीने दिए।

गीता दत्त की आवाज में मिठास, सादगी और सहज अभिव्यक्ति इतनी गहरी थी कि संगीत के क्षेत्र की सबसे बड़ी कलाकार, लता मंगेशकर, भी उनकी गायकी की प्रशंसक थीं। गीता दत्त ने अपना फिल्मी करियर 1946 में ‘भक्त प्रह्लाद’ से शुरू किया, जिसमें उन्होंने दो लाइनें गाई थीं। हालांकि, उन दो लाइनों ने ही संगीतकारों और दर्शकों का ध्यान खींच लिया।

गीता दत्त का करियर

गीता दत्त का पहला बड़ा ब्रेक 1947 की फिल्म ‘दो भाई’ से मिला, जहां उनके गाए गाने सुपरहिट साबित हुए और वे रातोंरात स्टार बन गईं। इसके बाद गीता दत्त ने 1500 से अधिक गानों में अपनी आवाज दी। ‘पिया ऐसो जिया में समाय गयो रे’, ‘बाबूजी धीरे चलना’, ‘जाने कहां मेरा जिगर गया जी’, ‘मुझे जान न कहो मेरी जान’, ‘वक्त ने किया क्या हसीं सितम’ और ‘चिन चिन चू’ जैसे गाने आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं जितने अपने समय में थे।

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गीता दत्त और लता मंगेशकर की पहली मुलाकात

यतींद्र मिश्र की किताब ‘लता: सुर गाथा’ में गीता दत्त और लता मंगेशकर की पहली मुलाकात का दिलचस्प किस्सा दर्ज है। दोनों ने साथ मिलकर फिल्म ‘शहनाई’ का गाना ‘जवानी की रेल चली जाय रे’ गाया था। लता जी गीता की आवाज सुनकर हैरान रह गई थीं। खास बात यह थी कि गीता दत्त हिंदी कम बोलती थीं, लेकिन जब माइक के सामने आतीं, तो उनका उच्चारण इतना साफ और लहजा इतना शुद्ध होता कि सुनने वाले हैरान रह जाएं। गीता दत्त भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी सुरीली आवाज और संगीत की विरासत भारतीय फिल्म संगीत का अमूल्य हिस्सा बनकर हमेशा जीवित रहेगी।

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Published On: Nov 23, 2025 | 10:40 AM

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