दीया मिर्जा ने वेब सीरीज काफिर पर की बात
मुंबई: साल 2019 में दीया मिर्जा ने ‘काफिर’ नामक वेब सीरीज से ओटीटी पर अपना डेब्यू किया था। अब करीब 6 साल के बाद वे दोबारा इस कहानी के साथ एक नए अवतार में लौटी। इस सीरीज को एक फिल्म के रूप में जी5 पर प्रसारित किया गया है। अभिनेत्री ने इस फिल्म से जुड़े कुछ दिलचस्प बारे शेयर की हैं। दीया मिर्जा से पूछा गया कि जब आपने सुना कि ‘काफ़िर’ को एक फिल्म के रूप में रूपांतरित किया जा रहा है, तो आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी? वेब सीरीज़ से फिल्म में बदलाव को आप किस रूप में देखती हैं?
दीया मिर्जा ने बताया कि जब मुझे पहली बार यह पता चला कि ‘काफ़िर’ को एक फिल्म के रूप में ढाला जा रहा है, तो मैं सचमुच बहुत उत्साहित हो गई थी। यह वेब सीरीज पहले ही कई दिलों को छू चुकी थी, और अब फिल्म के ज़रिए यह कहानी और ज़्यादा लोगों तक पहुंच सकेगी कि यही सोचकर बहुत अच्छा लगा। सिनेमा की खूबी यही है कि यह कहानियों को संक्षेप में और गहराई से पेश करता है, उन्हें और भी प्रभावशाली और डूबने योग्य बना देता है।
दिलचस्प बात यह है कि यह कहानी शुरू से ही एक फीचर फिल्म के रूप में लिखी गई थी! लेकिन कई सालों तक जब यह फिल्म नहीं बन सकी, तब जाकर इसे वेब सीरीज़ के रूप में जीवन मिला। भावनी अय्यर (लेखिका) ने एक बार मुझसे कहा था कि शायद यह कहानी मेरा इंतज़ार कर रही थी। और सच कहूं, तो मैं भी कई सालों से किसी ऐसी कहानी का इंतजार कर रही थी जो मुझे भीतर तक छू जाए।
दीया से पूछा गया कि एक प्रकृति प्रेमी होने के नाते, कश्मीर जैसी खूबसूरत जगह की पृष्ठभूमि में शूटिंग करना आपके लिए कैसा अनुभव था? कोई खास पल जो हमेशा आपके साथ रहेगा? तब उन्होंने कहा कि हालांकि ‘काफ़िर’ की कहानी कश्मीर में आधारित है, लेकिन उस वक्त वहां हालात तनावपूर्ण थे, इस वजह से हम वहां शूट नहीं कर सके। इसके बदले हमने हिमाचल प्रदेश में शूटिंग की, जो कि प्राकृतिक रूप से बहुत मिलती-जुलती जगह है और बेहद खूबसूरत भी। वो नजारे आज भी मेरी आंखों में बसे हुए हैं। ऊंचे-ऊंचे पहाड़, बर्फ, हरी-भरी वादियां, नदियां, झरने हर चीज जैसे किसी और ही दुनिया से आई हो।
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शूटिंग के दौरान असली जादू तब महसूस हुआ जब हम स्थानीय लोगों के बीच, खुले प्राकृतिक वातावरण में काम कर रहे थे। वहाँ की सादगी, शांति और ताज़ी हवा ने हमारी कला में एक अलग ऊर्जा भर दी। मुझे याद है पहाड़ों में शूट करते वक्त हल्की-सी हवा चल रही थी, टेक्स के बीच के शांत पलों में मैं बस उस वातावरण को महसूस करती थी। इन अनुभवों ने मुझे याद दिलाया कि हमें अपने पर्यावरण की कितनी कद्र करनी चाहिए, क्योंकि हमारा जीवन उससे गहराई से जुड़ा हुआ है।