देव आनंद (फोटो- सोशल मीडिया)
मुंबई: बॉलीवुड के सदाबहार देव आनंद लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद नेवी में जाने की तैयारियां शुरू की। लेकिन देव साहब कमीशन के सामने इंटरव्यू में फेल हो गए और उनका सपना धरा का धरा रह गया। इसी बीच देव साहब की मुलाकात एक सिख टीचर से हुई, जिन्होंने उन्हें फिल्मों में किस्मत आजमाने की सलाह दी। उनकी ही सलाह पर देव आनंद मुंबई आ गए।
मुंबई में देव आनंद का संघर्ष तीन साल तक चलता रहा लेकिन उन्हें किसी ने ब्रेक नहीं दिया। एक दिन देव साहब की मुलाकात बाबू राव पाई से हुई जो एक फिल्म मैगजीन के संपादक थे। बाबू राव पाई ने उनकी सिफारिश निर्माता-निर्देशक पी एल संतोषी से की। संतोषी को देव साहब का लुक बेहद पसंद आया और उन्होंने उन्हें अपनी फिल्म ‘हम एक हैं’ का हीरो बना दिया और इस तरह देव साहब की फिल्मी पारी शुरू हो गई।
ये भी पढ़ें- ‘पुष्पा 2’ के साथ रिलीज हुआ सोनू सूद की फिल्म ‘फतेह’ का टीजर
1947 तक देव आनंद तीन फिल्मों में काम कर चुके थे। ये तीनों ही फिल्में छोटे बजट की थी, जिसने बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास बिजनेस नहीं किया। एक दिन लोकल ट्रेन में देव साहब की मुलाकात निर्देशक शाहिद लतीफ से हुई जो उन दिनों बॉम्बे टॉकीज के साथ जुड़े हुए थे। लतीफ ने उन्हें अशोक कुमार से मिलने की सलाह दी। अशोक कुमार देव आनंद के आइडल थे। लतीफ ने उन्हें अशोक कुमार से मिलवाने का वादा किया और एक दिन उन्हें लेकर बॉम्बे टॉकीज पहुंचे।
अशोक कुमार को देव आनंद का चॉकलेटी चेहरा काफी पसंद आया और उन्होंने देव साहब को बॉम्बे टॉकीज की फिल्म ‘जिद्दी’ से रीलॉन्च करने का फैसला किया। लेकिन दिक्कत ये थी कि देव आनंद ‘प्रभात फिल्म्स’ के साथ कॉन्ट्रैक्ट में बंधे थे, इसलिए वो बाहर की फिल्मों में काम नहीं कर सकते थे। अशोक कुमार ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर देव आनंद को प्रभात के कॉन्ट्रेक्ट से मुक्त किया। हर्जाने के तौर पर जो पैसे मांगे गए वो भी अशोक कुमार ने ही चुकाया।
ये भी पढ़ें- नागा चैतन्य और शोभिता धुलिपाला की शादी की नई फोटोज