सीरीज: आदि शंकराचार्य
कास्ट: अर्नव खानिजो, संदीप मोहन, गगन मलिक, सुमन गुप्ता, योगेश महाजन, राजीव रंजन
निर्देशक: ओंकार नाथ मिश्रा
निर्माता: नकुल धवन, ओंकार नाथ मिश्रा
रनटाइम: 30 से 45 मिनट के 10 एपिसोड
रेटिंग: 3 स्टार्स
मुंबई: ओटीटी पर आज तमाम तरह के कंटेंट की भरमार है। ऐसे में बड़ी संख्या में हिंसा और अश्लीलता भरे कंटेंट देखने को मिलते हैं वहीँ अध्यात्म और हमारे समाज को अपने अद्वैत के सिद्धांत के द्वारा शांति,अहिंसा,प्रेम और मानवता की संस्कृति की रक्षा और पुनर्स्थापना करने की दिशा देने वाले महान दार्शनिक आदि शंकराचार्य के जीवन पर बनी वेब सीरीज ‘आदि शंकराचार्य’ पेश की जा रही हिया जिसका पहला सीजन इसी हफ्ते रिलीज के लिए तैयार है। इस रिव्यू के जरिए आइए जानते हैं कैसा है वेब सीरीज का ये पहला सीजन।
कहानी: इस वेब सीरीज के पहले सीजन में आदि शंकराचार्य जी से जीवन के प्रारंभिक 8 वर्षों की कहानी बताने का सुंदर प्रयास किया है। पहले सीजन में कुल 10 एपिसोड हैं। ईसा पूर्व मौर्य काल की शुरुआत से ही धर्म में भ्रष्ट आचरण की शुरुआत हुई, जिसके परिणामस्वरूप बौद्ध और जैन सम्प्रदायों का उदय हुआ और सांप्रदायिकता, नये देवताओं और जबरन धर्म परिवर्तन का युग आरम्भ हुआ। बौद्ध अहिंसा दर्शन से प्रभावित होकर सम्राट अशोक ने सेना को धन देना बंद कर दिया। सेना कमजोर हो गई और धीरे-2 भारत 300 से अधिक राज्यों में विभक्त हो गया, जिससे एक दूसरे के विरुद्ध युद्ध छिड़ गया। भारत को कमजोर पाकर अरबों ने 712 ई. में सिंध पर आक्रमण किया और जीतने के बाद वे बलपूर्वक मध्य भारत में और समुद्री मार्ग से व्यापारियों के रूप में दक्षिण भारत में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे। यह पूर्णतः सामाजिक, राजनीतिक और आध्यात्मिक अंधकार का युग था। इन परिस्थितियों में आदि शंकराचार्य का जन्म 788 ई. में श्री शिवगुरु और देवी आर्याम्बा के पुत्र के रूप में हुआ। बचपन से ही असाधारण प्रतिभा और गुणों के कारण श्री शंकर शीघ्र ही क्षेत्र के लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गए। इसी प्रकार कहानी अपने विषय के अनुसार दर्शकों का मनोरंजन के साथ ज्ञानवर्धन करते हुए आगे बढ़ती है और 10वें एपिसोड में मगरमच्छ से हुए घनघोर संघर्ष के बाद 8 वर्ष के बालक श्री शंकर ने अपनी माता का आशीर्वाद लिया और गृहत्याग कर अपने गुरु श्री गोविंदपाद को खोजने के लिए ओंकारेश्वर की यात्रा पर निकल पड़े।
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अभिनय: 8 वर्षीय बालक शंकर के मुख्य किरदार में अर्णव खानिजो ने काफी प्रभावशाली काम किया है. उनके एक्सप्रेशन से लेकर उनकी चाल-ढाल देखकर मालूम होता है कि वे अपने किरदार में काफी ढले हुए हैं. आदि शंकर की मां पिता के रोल में टीवी ऐक्ट्रेस सुमन गुप्ता और कृष्णा धारावाहिक से प्रसिद्धि पाने वाले ऐक्टर संदीप मोहन ने अपने अनुभव का भरपूर प्रयोग किया है और दर्शकों को अपने किरदार के साथ बांधने में सफल रहे हैं। अभिनेता राजीव रंजन आचार्य विभूति के किरदार के साथ भी न्याय करते दिखे।
फाइनल टेक: यह सीरीज न सिर्फ आपको एंटरटेन करती है बल्कि आपको काफी हद तक ज्ञान भी देती है। ये सीरीज हमारे इतिहास को बेहद शानदार ढंग से प्रस्तुत करती है जिसे आप यकीनन आगे तक देखना चाहेंगे। निर्देशक ओंकारनाथ मिश्रा ने जिस प्रकार से इस शो में हमारी हिस्ट्री और फैक्ट्स को बखूभी पेश किया है। एक्टर्स के कॉस्टयूम से लेकर शो के लोकेशन तक, ये सभी आपको उस युग में ले जाते हैं जब ये सभी घटनाएं घटी थी।