कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स-सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को 99 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। इस लिस्ट में महाराष्ट्र की राजनीति के कई कद्दावर नाम शामिल हैं। एक तरफ बीजेपी ने टिकट बंटवारे में सोशल इंजीनियरिंग भी दिखाई है। लेकिन दूसरी तरफ अपने नारे ‘सबका-साथ, सबका-विकास, सबका-विश्वास के विपरीत दिखाई दे रही है। इसके पीछे क्या कारण हैं और ऐसा क्यों कहा जा रहा है? जानते हैं इस रिपोर्ट में।
भारतीय जनता पार्टी नें महाराष्ट्र चुनाव के लिए रविवार को 99 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। इस लिस्ट में डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडणवीस के साथ राज्य के बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को भी टिकट दिया गया है। इसमें पार्टी ने दलित और एसटी चेहरों को भी जगह दी है। इतना ही नहीं महिलाओं को भी ठीक-ठाक प्रतिनिधित्व का मौका दिया गया है।
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बात करें लिस्ट के बड़ें चेहरों की तो नागपुर दक्षिण पश्चिम से पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को प्रत्याशी बनाया गया है तो कामठी से प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले मौका दिया है। इसके अलावा जलगांव से संजय कूटे, बल्लारपुर से सुधीर मुनगंटीवार, कोथरुड (पुणे) से चंद्रकांत पाटील, ठाणे से संजय केलकर और नीलंगा से संभाजी नीलंगेकर को उम्मीदवारी दी गई है।
बीजेपी की पहली लिस्ट में 13 महिला उम्मीदवारों के नाम हैं। जिसमें चिखली सीट से श्वेता विधाधर महाले, जिंतूर से मेघना बोर्डिकर, भोकर से श्रीजया अशोक चव्हाण, फुलंबरी से अनुराधाताई अतुल चव्हाण, कल्याण पूर्व से सुलभा कालू गायकवाड़, नासिक पश्चिम से सीमाताई महेश हीरे, बेलापुर से मंदा विजय महात्रे, गोरेगांव से विधा जयप्रकाश ठाकुर, दहिसर से मनीषा अशोक चौधरी, पार्वती से माधुरी सतीश मिसाल, शेवगांव से मोनिका राजीव राजले, श्रीगोंडा से प्रतिभा पचपुते और कैज से नमिता मुंदड़ा के नाम हैं।
भाजपा ने 99 उम्मीदवारों की पहली सूची में 4 दलित चेहरों के जगह दी है। इसके अलावा पार्टी ने 6 आदिवासी उम्मीदवार भी उतारे हैं। लेकिन इस सूची में एक भी मुस्लिम नाम शामिल नहीं किया है। जबकि बीजेपी ने ‘सबका-साथ, सबका-विकास’ नारे में ‘सबका विश्वास’ इसीलिए शामिल किया था कि मुस्लिमों को भी भरोसे में लिया जा सके, मगर महाराष्ट्र में पार्टी ने टिकट वितरण में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है। जिसके बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि ऐसे सबका विश्वास कैसे जीतेंगे?
इस सवाल के जवाब में राजनीतिक पंडितों का कहना है कि बीजेपी हिंदुत्वादी राजनीति के लिए जानी जाती है। लेकिन 2019 चुनाव के पहले उसने मुस्लिमों को भी लुभाने की कोशिश की जो कि 2024 तक जारी रही। लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों ने उसे हताश कर दिया। जिसके चलते वह फिर से पुराने ढर्रे पर लौट पड़ी है। दूसरा महाराष्ट्र की सियासत हिंदुत्व के बलबूते पर ही चलती है। ऐसे में सबका विश्वास जीतने से कहीं ज्यादा ज़रूरी चुनाव जीतना है।
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