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बिहार चुनाव: वारिसनगर के कुशवाहा-कुर्मी मतदाता तय करेंगे जीत का अंतर, JDU के सामने वर्चस्व की चुनौती

Bihar Election 2025: वारिसनगर विधानसभा सीट पर राजद और भाजपा ने लगातार हार के बाद मैदान छोड़ सहयोगी दलों पर भरोसा जताया, जिससे यह क्षेत्र अनोखे राजनीतिक समीकरणों का केंद्र बना।

  • By अक्षय साहू
Updated On: Oct 26, 2025 | 03:28 PM

वारिसनगर विधानसभा सीट (सोर्स- डिजाइन)

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Warisnagar Assembly Constituency: बिहार के समस्तीपुर जिले में स्थित वारिसनगर विधानसभा सीट, अपने अनोखे राजनीतिक समीकरणों के कारण चर्चा में है। यह सीट समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण विधानसभा है, जहाँ बिहार के दो सबसे बड़े दल, राजद और भाजपा, लगभग गुमनाम हो चुके हैं और उन्होंने अपने सहयोगी दलों पर भरोसा जताना शुरू कर दिया है।

यह प्रखंड समस्तीपुर जिला मुख्यालय से सिर्फ 10 किलोमीटर और पटना से लगभग 108 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वारिसनगर विधानसभा क्षेत्र का गठन 1951 में हुआ था और इसमें वारिसनगर, खानपुर दो पूरे प्रखंडों के साथ-साथ शिवाजी नगर प्रखंड की छह ग्राम पंचायतें शामिल हैं।

बड़े दलों ने छोड़ा मैदान

वारिसनगर की राजनीति का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि यहाँ बड़े दलों ने लगातार हार के बाद मैदान छोड़ दिया है। लगातार चार चुनावों में हार झेलने के बाद, राजद ने 2010 से यहाँ चुनाव लड़ना बंद कर दिया और महागठबंधन के सहयोगियों को समर्थन देना शुरू किया। वहीं अक्टूबर 2005 की दूसरी हार के बाद, भाजपा ने भी इसी रणनीति को अपनाया और जदयू व लोजपा जैसे सहयोगी दलों को समर्थन देना शुरू कर दिया।

कांग्रेस और CPI का हटना भी चर्चा का विषय रहा है। कांग्रेस, जिसने केवल 1972 में एक बार जीत दर्ज की थी, लगातार हार और जमानत जब्त होने के कारण चुनावी परिदृश्य से बाहर हो गई। वाम दलों में सीपीआई ने भी असफलता के कारण इस सीट से हटने का निर्णय लिया। इन बड़े दलों की खामोशी ने क्षेत्रीय और सहयोगी दलों के लिए जगह बनाई है।

जदयू के सामने वर्चस्व कायम रखने की चुनौती

वर्तमान विधायक अशोक कुमार (जदयू) इस सीट पर 2010 से लगातार काबिज हैं, जो उनके मजबूत क्षेत्रीय आधार को दर्शाता है। हालांकि, उनकी लगातार जीत के बावजूद, जीत का अंतर कम होना इस बार एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गया है। 2015 की जीत को देखा जाए तो 2015 में अशोक कुमार की जीत का अंतर 58,573 वोट था, जो बेहद बड़ा था। लेकिन 2020 में यह अंतर नाटकीय रूप से घटकर सिर्फ 13,801 वोट रह गया।

इस अंतर के घटने का मुख्य कारण लोजपा की तीसरे दल के रूप में मौजूदगी थी, जिसने 2020 में 12.60 प्रतिशत वोट हासिल किए थे और जदयू के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाई थी। अब लोजपा की स्थिति बदलने से इस बार का मुकाबला और भी जटिल हो गया है।

निर्णायक जातीय समीकरण

वारिसनगर की राजनीति में जातीय समीकरण बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। यहाँ कुशवाहा (कोरी) और कुर्मी समुदाय के मतदाता चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की गहरी क्षमता रखते हैं। इन समुदायों का झुकाव ही यहाँ की राजनीतिक दिशा तय करता है। इस बार भी, कुशवाहा और कुर्मी मतदाताओं को साधने की रणनीति ही सहयोगी दलों की जीत सुनिश्चित करेगी।

कृषि आधारित मजबूत अर्थव्यवस्था

गंगा के मैदानी क्षेत्र में बसा वारिसनगर प्रकृति के आशीर्वाद से समृद्ध है। पास की कमला और कोसी नदियों के कारण यहाँ की भूमि अत्यधिक उपजाऊ है। यहाँ की करीब 60 से 70 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। धान, गेहूं, मक्का और दालें यहाँ की मुख्य उपज हैं। साथ ही साथ आलू, प्याज, टमाटर, बैंगन और फूलगोभी जैसी सब्जियां भी बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं। कुछ इलाकों में तंबाकू की खेती की जाती है। वारिसनगर प्रखंड का रोहुआ गांव विशेष रूप से तंबाकू की खेती के लिए जाना जाता है।

यह भी पढ़ें: नालंदा विधानसभा सीट: JDU का ‘अभेद्य किला’, हाई-प्रोफाइल सीट पर राजनीतिक इतिहास और विकास की टकराहट

इसके साथ ही साथ देखा जाए तो कृषि के अलावा, डेयरी उद्योग भी वारिसनगर की अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभाता है।
वारिसनगर सीट पर 6 नवंबर को पहले चरण के तहत चुनाव आयोजित होंगे और 14 नवंबर को वोटों की गिनती होगी। यह देखना रोमांचक होगा कि क्या जदयू इस बार भी अपनी सीट बचाने में कामयाब होती है या राजनीतिक समीकरणों में आए बदलाव से कोई नया दल जीत दर्ज करता है।

Warisnagar assembly seat samastipur jdu vs ljp election 2025 profile

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Published On: Oct 26, 2025 | 03:27 PM

Topics:  

  • Bihar
  • Bihar Assembly Election 2025
  • Bihar Politics

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