चिंचवड़ सीट (सौजन्य-नवभारत)
पिंपरी: चिंचवड़ विधानसभा क्षेत्र का गठन 2009 में हुआ था। उस चुनाव में लक्ष्मण जगताप निर्दलीय निर्वाचित हुए थे। लगातार तीन चुनावों में चिंचवड़ पर लक्ष्मण जगताप का शासन रहा। जगताप परिवार का करिश्मा चिंचवड़ में देखने को मिला जब उनकी असामयिक मृत्यु के बाद पिछले साल हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी अश्विनी जगताप ने जीत हासिल की।
अब 2024 के विधानसभा चुनाव में लगातार पांचवीं बार जगताप परिवार से शंकर जगताप की रिकॉर्ड जीत ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि चिंचवड़ में केवल ‘जगताप पैटर्न’ ही काम करता है। 2009 में दिवंगत लक्ष्मण जगताप ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। फिर 2014 के चुनाव में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के इंतजार में कमल के निशान पर चुनाव लड़ा।
उन्होंने 2019 का चुनाव भी कमल के निशान पर जीता। वहीं चिंचवड़ विधानसभा क्षेत्र में ‘जगताप पैटर्न’ कायम रहा। जगताप के खिलाफ अलग-अलग पार्टियों और उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। लेकिन सबको हार का सामना करना पड़ा।
विधायक लक्ष्मण जगताप का जनवरी 2023 में निधन हो गया। उनके निधन के बाद खाली हुई चिंचवड सीट पर बीजेपी ने उनकी पत्नी अश्विनी जगताप को उम्मीदवार बनाया है। लक्ष्मण जगताप की मृत्यु के कारण विपक्ष ने चिंचवड से जगताप का अस्तित्व समाप्त करने का भी प्रयास किया। लेकिन, जगताप द्वारा किए गए विकास कार्यों और निष्ठावान कार्यकर्ताओं की फौज के बल पर अश्विनी जगताप ने भी विजय हासिल की।
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2024 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी के लिए विधायक अश्विनी जगताप के देवर शंकर जगताप का नाम सामने आने के बाद जगताप के विरोधियों ने इसे भुनाया और जगताप परिवार में कलह की अफवाहें फैलाना शुरू कर दिया। हालांकि, चुनाव से पहले विधायक अश्विनी जगताप ने ही उम्मीदवारी को अस्वीकार कर दिया और पार्टी के वरिष्ठ लोगों से शंकर जगताप की उम्मीदवारी देने का अनुरोध किया, जिससे विपक्ष की योजना विफल हो गई।
भारतीय जनता पार्टी की ओर से घोषित पहली सूची में चिंचवड विधानसभा के लिए शंकर जगताप के नाम की घोषणा जल्दी की गई। इससे शंकर जगताप को प्रचार करने और मतदाताओं तक पहुंचने के लिए काफी समय मिल गया। उस संबंध में महाविकास आघाड़ी ने आखिरी समय में उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की। इससे उम्मीदवार का भ्रम जल्द खत्म नहीं हुआ। ऐसे में विपक्षी उम्मीदवार को प्रचार के लिए कम समय मिला। एक ओर जहां विपक्ष क्षेत्र में एक भी प्रचार दौरा पूरा नहीं कर सका। दूसरी ओर, शंकर जगताप ने हर गांव का कम से कम तीन से चार बार दौरा किया। इसका फायदा जगताप को हुआ।
शंकर जगताप की उम्मीदवारी की घोषणा होने से पहले ही भारतीय जनता पार्टी के कुछ असंतुष्ट और इच्छुक लोगों ने शंकर जगताप पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगाते हुए उनकी उम्मीदवारी का कड़ा विरोध किया था। लेकिन, शंकर जगताप इन असंतुष्ट अधिकारियों की नाराजगी दूर करने में सफल रहे। और उसके बाद उन सभी पदाधिकारियों ने जगताप के प्रचार का जिम्मा संभाला।
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खुद लक्ष्मण जगताप ने अपने कार्यकाल के दौरान कई सामान्य कार्यकर्ताओं को राजनीतिक और सामाजिक न्याय दिया। कईयों को नगरसेवक बनाया गया। इसलिए, इस बार उनके साथ विधानसभा क्षेत्र के हजारों कार्यकर्ता जुड़े हुए थे। वे कार्यकर्ता उनके बाद भी जगताप परिवार के प्रति वफादार रहे। इन समर्पित कार्यकर्ताओं के बल पर जगताप परिवार पांचवीं बार चिंचवड़ के किले को अक्षुण्ण रखने में सफल हुआ है।