शिव सैनिक (सौजन्य-नवभारत)
कल्याण: महाविकास अघाड़ी की ओर से कल्याण पूर्व से ठाकरे गुट के धनंजय बोदारे को उम्मीदवार बनाए जाने से कल्याण पूर्व में ठाकरे गुट के शिवसेना पदाधिकारी नाराज हैं और इसी के साथ उन्होंने एबी फॉर्म गायब होने का आरोप लगाया है।
उनका कहना हैं कि कल्याण पूर्व में मतदाताओं की संख्या अधिक है, लेकिन उम्मीदवार उल्हासनगर से दिया गया है और इच्छुक उम्मीदवारों और पूर्व महापौर रमेश जाधव और हर्षवर्द्धन पलांडे ने आरोप लगाया है कि ये शिवसेना नेता विनायक राऊत और गुरुनाथ खोत ने साजिश रची है। इसलिए ठाकरे गुट के शिवसैनिकों ने कल्याण पूर्व से स्थानीय उम्मीदवार देने की मांग की है।
कल्याण पूर्व और पश्चिम में ठाकरे गुट से नामांकन पर निर्णय लेने के लिए पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के मातोश्री आवास पर शुक्रवार को पूरे दिन मैराथन बैठकें चलती रहीं। पूर्व महापौर रमेश जाधव, उपजिला प्रमुख हर्षवर्द्धन पलांडे और जिला प्रमुख धनंजय बोडारे कल्याण पूर्व से उम्मीदवारी में रुचि रखते थे।
प्रारंभ में पार्टी प्रमुख ने सुझाव दिया कि वे तीनों एक उम्मीदवार का नाम सुझाने के लिए सहमत हों, लेकिन कोई सहमति नहीं बनी। इसी बीच कल्याण पूर्व में दूसरे दलों के 4 दावेदार भी आ गए और मातोश्री पर हमला बोल दिया।
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इसी बीच कल्याण पूर्व में दूसरे दलों के 4 दावेदार भी आ गए और मातोश्री पर काफी हंगामा हुआ, इसके बाद जैसे-जैसे नामांकन को लेकर असमंजस बढ़ता गया, देर रात सभी दावेदारों को बताया गया कि उम्मीदवार का नाम मुखपत्र सामना में प्रकाशित किया जाएगा। इसके चलते रमेश जाधव और हर्षवर्द्धन पलांडे ने मातोश्री छोड़ दिया। इसके बाद देर रात सोशल मीडिया पर देखा गया कि धनंजय बोडारे को पार्टी प्रमुख ने एबी फॉर्म देकर उनकी घोषणा कर दी है।
इस संबंध में रमेश जाधव ने पत्रकारों से बात करते हुए गंभीर आरोप लगाया कि जिस एबी फॉर्म में मेरी उम्मीदवारी तय थी, उसे गायब कर निर्वाचन क्षेत्र निरीक्षक गुरुनाथ खोत ने धनंजय बोडारे को उम्मीदवारी दे दी है। इस संबंध में वरिष्ठों से शिकायत कर अगली दिशा तय की जाएगी।
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उप जिला प्रमुख हर्षवर्द्धन पलांडे ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 2009 से ही कल्याण पूर्व में शिवसैनिकों पर बाहरी उम्मीदवार थोपा जा रहा है। निष्ठावान शिवसैनिक इस बार के चुनाव में स्थानीय उम्मीदवार चाहते थे। लेकिन, उल्हासनगर में रहने वाले एक उम्मीदवार को ही नामांकित किया गया है, जिससे स्थानीय कार्यकर्ताओं में गुस्से की लहर है। पार्टी के वरिष्ठों को इस बारे में सोचना चाहिए और उम्मीदवारी पर पुनर्विचार करना चाहिए।