संभाजीराजे छत्रपती (सोर्स: सोशल मीडिया)
नासिक: महाराष्ट्र में तत्त्वों की राजनीति नहीं रह गई है। कोई भी किसी भी पार्टी से कहीं भी छलांग लगा देता है। पिछले 75 वर्षों में हमारे सामने के प्रश्न नहीं बदले हैं। राज्य में बदलाव चाहिए, तो स्वराज्य पार्टी को सत्ता में लाओ, यह आवाहन संभाजीराजे छत्रपती ने नासिक में किया। विधानसभा जीतने के लिए स्वराज्य पार्टी चुनाव मैदान में उतरी है, और नासिक से चुनाव का शंखनाद किया गया है। गंगापुर रोड पर रावसाहेब थोरात सभागृह में स्वराज्य संकल्प सम्मेलन आयोजित किया गया, जहां संभाजीराजे छत्रपती ने संबोधित किया। स्वराज्य पक्ष को मान्यता मिलने के बाद नासिक में पहला सम्मेलन आयोजित किया गया।
इस अवसर पर शहर में संभाजीराजे छत्रपती की रैली निकाली गई। इसके बाद उन्होंने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि स्वराज्य पार्टी को अब राजनीतिक दल का दर्जा प्राप्त हो गया है और चुनाव आयोग ने पेन की निब को उनका चुनाव चिन्ह स्वीकार किया है।
संभाजीराजे ने कहा कि स्थापित राजनीतिक दल इस बात पर आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं कि स्वराज्य पक्ष को यह चिन्ह कैसे मिला। लेकिन, उन्होंने घोषणा की कि पेन की निब अब स्वराज्य पक्ष का हथियार बनेगी और वे इसके साथ चुनाव के मैदान में उतरेंगे। स्वराज्य का अर्थ स्वयं का राज्य होता है, जैसा कि महात्मा गांधी ने भी कहा था कि स्वराज का मतलब है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।
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स्वराज्य पार्टी के नेता ने कहा कि यह राज्य विद्यार्थियों, महिलाओं, मजदूरों और किसानों का है, और पिछले 75 वर्षों में पहली बार इतनी गंदी राजनीति हो रही है। अब तो सिर्फ कुर्सी के लिए किसी भी हद तक जाने और कुछ भी करने का एजेंडा चल रहा है, और इसे रोकने के लिए स्वराज्य पार्टी चुनाव लड़ रही है। उन्होंने शिवसेना और राकांपा के बीच के विभाजन को भी गद्दारी करार दिया और कहा कि शरद पवार का कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस बनाना भी गद्दारी थी।
यह आलोचना स्वराज्य पार्टी के नेता द्वारा नासिक में एक सभा में की गई, जहां उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव में उतरेगा और इस गंदी राजनीति को रोकेगी। स्थापित दलों के राजनीतिक नेताओं के हाथ में सहकार क्षेत्र, चीनी मिलें, शैक्षिक संस्थान और अस्पताल होने के बावजूद, हमें मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इतने वर्षों में स्थापित दल महाराष्ट्र को सुसंस्कृत नहीं बना सके, यह सवाल उठाया गया है।
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नासिक स्वर्ण त्रिभुज में स्थित होने के बावजूद यहां विकास नहीं हुआ है। हर साल 65 से 70 हजार विद्यार्थी यहां से बाहर जाते हैं, लेकिन उन्हें रोजगार कहां मिलता है? यहां न तो कोई नया उद्योग आया है और न ही स्मार्ट सिटी परियोजना आगे बढ़ी है। पर्यटन बढ़ाने के लिए भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया हैं संभाजीराजे ने नासिक के लोगों से अपील की है कि वे अपने विधायकों और सांसदों से जवाब मांगें।
यह समस्या नासिक के विकास को रोक रही है और युवाओं को रोजगार की तलाश में अन्य शहरों में जाने के लिए मजबूर कर रही है। संभाजीराजे की अपील से यह स्पष्ट होता है कि नासिक के लोगों को अपने नेताओं से जवाबदेही मांगनी चाहिए और विकास की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।