फाइल फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने कैबिनेट की बैठक में गाय को राज्यमाता का दर्जा देकर बड़ा दांव खेला है। महाराष्ट्र सरकार ने भारतीय समाज में आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और ऐतिहासिक महत्व रखने वाली देशी गायों को ‘राज्यमाता-गोमाता’ घोषित करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में देशी गायों को ‘राज्यमाता-गोमाता’ घोषित करने के प्रस्ताव को चर्चा के बाद स्वीकार कर लिया गया और इस संबंध में शासनादेश (जीआर) भी जारी कर दिया गया है।
महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि इसका विधानसभा चुनाव में क्या असर होगा? क्या इस निर्णय में महायुति को चुनाव में फायदा होगा? विपक्षी दलों पर इसका क्या असर पड़ेगा? ऐसे कई सवालों ने जन्म ले लिया हैं। महाराष्ट्र के चुनाव में ‘राज्यमाता’ गाय बनेगी महायुति की भाग्यविधाता? इस आर्टिकल में हम जानेंगे की इसका क्या असर होगा।
महाराष्ट्र में चुनाव की तैयारियों जोरों पर हैं। चुनाव आयोग की टीम दो दिवसीय महाराष्ट्र दौरे से लौट चुकी हैं। अब माना जा रहा है कि 8 अक्टूबर के बाद कभी भी विधानसभा चुनाव का ऐलान हो सकता है। ऐसे में राज्य की महायुति सरकार पर भी तैयारियों में जुट गई है। साेमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसका रंग देखने को मिला। चुनाव आते ही राजनीतिक पार्टियां जाति और धर्म का कार्ड खेलना शुरू कर देती हैं।
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हिंदू धर्म में गाय को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। गाय पवित्र माना जाता है। इसे माता का दर्जा दिया गया है। हिंदू धर्म के कई धार्मिक अनुष्ठानों में गाय की विशेष पूजा की जाती है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार गाय में 33 कोटि देवों का वास होता हैं। इसलिए कई अनुष्ठानों में गाय की गौमाता की पूजा की जाती हैं। धार्मिक अनुष्ठानों में गाय के दूध, घी और गोमूत्र का भी उपयोग किया जाता हैं।
महाराष्ट्र सरकार के गाय को राज्यमाता का दर्जा देने वाले निर्णय महायुति को चुनाव में फायदा हो सकता है। कहा जा रहा है कि हिंदू धर्म में गाय आस्था का विषय है। ऐसे में इस निर्णय का असर हिंदू वोटरों पर पड़ सकता हैं। सरकार का यह निर्णय आगामी विधानसभा चुनाव में हिंदू वोटर्स को अपनी ओर आकर्षित करने के रूप में देखा जा रहा है।
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वहीं विपक्ष भी इस निर्णय के बाद असमंजस की स्थिति में है। विपक्ष की ओर से इस निर्णय को लेकर अब तक कोई बयान नहीं आया है। माना जा रहा है कि यदि विपक्ष इसका विरोध करती है तो विधानसभा में हिंदू वोटबैंक खिसक सकता है। ऐसे में विपक्ष ने चुप्पी साधने में ही अपनी भलाई समझी है।