कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: बिहार के राम विलास पासवान, यूपी में अपना दल, महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे, अजित पवार और कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की पार्टी के साथ गठबंधन के कारण बीजेपी भ्रष्टाचार और वंशवाद के मुद्दे पर घिरती रही है। लेकिन रविवार को जारी की गई बीजेपी के उम्मीदवारों की सूची के बाद बीजेपी के परिवारवाद की परिभाषा पर भी सवाल उठाने लगे हैं। क्योंकि बीजेपी ने अपनी सूची में अपने कई नेताओं के परिजनों को उम्मीदवारी दी है। इनमें नेताओं की पत्नी, बेटे-बेटी और भाई शामिल हैं। इस पर विपक्ष के लोग कह रहे हैं कि बीजेपी की कथनी और करनी में अंतर है।
भारतीय जनता पार्टी भी अब परिवारवाद के जाल में फंसती नजर आ रही है। कांग्रेस सहित देश के तमाम विपक्षी दलों पर भ्रष्टाचार, परिवारवाद और वंशवाद का आरोप लगाकर बीजेपी केंद्र की सत्ता तक पहुंची लेकिन देश और दुनिया की सबसे बड़ी व अमीर राजनीतिक पार्टी बनने के बाद अब बीजेपी भ्रष्टाचार व परिवारवाद की नई परिभाषा गढ़ने की कोशिश करने लगी। कांग्रेस, राजद, सपा, शिवसेना (उद्धव गुट) राकांपा (शरदचंद्र पवार) आदि पर वंशवाद का आरोप लगाती रही है।
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बीजेपी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को अपने 99 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। इसमें बीजेपी सांसद अशोक चव्हाण की बेटी सृजया चव्हाण को भोकर विधानसभा क्षेत्र से, पूर्व केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे के पुत्र संतोष दानवे को भोकरदन से, सांसद नारायण राणे के पुत्र नितेश राणे को कणकवली से श्रीगोंदा से मौजूदा विधायक बबनराव पाचपुते की पत्नी प्रतिभा पाचपुते तथा कल्याण पूर्व से मौजूदा विधायक गणपत गायकवाड की पत्नी सुलभा गायकवाड़ को उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष आशीष शेलार के भाई विनोद शेलार को मालाड-पश्चिम विधानसभा सीट से टिकट दिया है।
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गौरतलब हो कि बीजेपी ने संतोष दानवे और नीतेश राणे को दूसरी बार टिकट दिया है। संतोष इससे पहले 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में जीतने में सफल हुए थे और तब वह सबसे युवा विधायक बने थे। इस तरह नीतेश राणे भी 2019 में बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए थे। जबकि बबनराव पाचपुते ने बीमार होने के कारण चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था तो वहीं गणपत गायकवाड़ एक आपराधिक मामले में जेल में बंद हैं। जबकि विनोद शेलार पूर्व नगर सेवक हैं।