मनोज जरांगे (सोर्स: सोशल मीडिया)
छत्रपति संभाजीनगर: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नामांकन वापस लेने के अंतिम दिन मनोज जरांगे ने चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान करते हुए अपने सभी प्रत्याशियों को नामांकन वापस लेने के लिए कहा था। चुनाव नहीं लड़ने के फैसले पर मनोज जरांगे ने अब बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि हम चुनावी मैदान में उतरते तो मराठा समुदाय बंट सकता था।
आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बुधवार को दावा किया कि वे महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य का राजनीतिक परिदृश्य बदल सकते हैं। चुनाव से दूर रहने का फैसला लेकर मराठा आरक्षण की लड़ाई को जीवित रखा है। जरांगे ने कहा कि अगर वे चुनावी मैदान में उतरते, तो मराठा समुदाय बंट सकता था। जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय पहले ही निशाने पर है। उन्होंने कहा कि ‘‘अगर हम चुनाव लड़ते, तो समुदाय में विभाजन पैदा हो सकता था।”
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने जालना जिले में कहा कि 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों को समर्थन देने के बारे में निर्णय उचित समय पर लिया जाएगा। मनोज जरांगे ने पहले कुछ निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान की थी, जहां वह कुछ उम्मीदवारों का विरोध करने पर विचार कर रहे थे, लेकिन नामांकन वापस लेने के आखरी दिन 4 नवंबर को उन्होंने कहा कि “हम राज्य में किसी भी उम्मीदवार को चुनाव मैदान में नहीं उतारेंगे और न ही किसी प्रत्याशी का समर्थन करेंगे।”
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आगे की रणनीति के बारे में मनोज जरांगे ने कहा कि ‘‘चुनाव न लड़ने के फैसले से कुछ उम्मीदवार नाराज हो सकते हैं। लेकिन इस फैसले से मैंने आरक्षण की लड़ाई को जिंदा रखा है। चुनाव थोड़े समय के लिए खुशी देते हैं, जिससे हमें बचना चाहिए।” उन्होंने कहा कि वह समय आने पर निर्णय लेंगे कि चुनाव में किसे हराना है, क्योंकि मतदान में अभी कुछ दिन बाकी हैं।
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने कहा कि ‘‘जो हमसे समर्थन मांग रहे हैं, हम उन लोगों को मराठा आरक्षण के समर्थन में मसौदा देंगे। उसके बाद तय करेंगे कि हमें किसका समर्थन करना चाहिए। हमारे पास अंतिम चरण में राजनीतिक माहौल बदलने की क्षमता है। हम देखेंगे कि कौन मजबूत उम्मीदवार है और फिर तय करेंगे कि हमें किसे मसौदा और समर्थन देना चाहिए।”
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मनोज जरांगे के चुनाव नहीं लड़ने के उनके फैसले से विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी को फायदा होगा? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘यह बात तो बहुत पहले से कही जा रही है। फिर पिछले साल अंतरवाली सराती गांव में हमारे लोगों पर हमला क्यों किया गया? उनके खिलाफ मामले क्यों दर्ज किए गए। हाल ही में 15-16 समुदायों को आरक्षण दिया गया, लेकिन हमें आरक्षण नहीं दिया गया।”
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को कहा था कि विपक्षी गठबंधन में किसी का भी मनाेज जरांगे के चुनाव नहीं लड़ने के फैसले से कोई संबंध नहीं है। एनसीपी (एसपी) एमवीए का घटक दल है।