(कॉन्सेप्ट फोटो)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को आ चुके हैं लेकिन अब तक राज्य में नई सरकार का गठन नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और शिवसेना में चल रही रस्साकशी 27 नवंबर को खत्म हो गई। एकनाथ शिंदे के बयान के बाद भाजपा का मुख्यमंत्री बनाना तय माना जा रहा रहा है। फिर ऐसा क्या है जो सरकार बनाने में अड़चन पैदा कर रहा है।
पहले सीएम की कुर्सी को लेकर एकनाथ शिंदे अड़े थे लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ हुई बैठक के बाद शिंदे ने सीएम पद पर दावेदारी छोड़ने के लिए तैयार हो गए है। लेकिन अब उन्होंने भाजपा के सामने नई शर्तें रख दी है।
कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री के साथ गृहमंत्रालय की भी मांग कर रहे हैं। इसके अलावा नगर विकास मंत्रालय जैसे कई बड़े विभागों की मांग को लेकर भाजपा और शिंदे के बीच टसल चल रही है। इधर भाजपा किसी भी कीमत पर गृह मंत्रालय छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।
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दिल्ली से सख्त संकेत मिलने बाद सीएम की जिद छोड़ने वाले शिंदे अब गृह मंत्रालय पर अटक गए हैं। शिंदे की सौदेबाजी बीजेपी को रास नहीं आ रही है। क्योंकि बीजेपी को लगने लगा है कि शिंदे के कारण नई सरकार के गठन और शपथ ग्रहण समारोह में हो रही देरी से लोगों में महायुति को लेकर गलत संदेश जा रहा है।
एकनाथ शिंदे अब उप मुख्यमंत्री पद के अलावा गृह मंत्रालय, नगर विकास मंत्रालय, सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग सहित लगभग दर्जनभर मंत्रीपद और महा मंडलों की मांग कर रहे हैं। इसके लिए शिंदे बार-बार रूठ रहे हैं। दूसरी तरफ 41 विधायकों वाले अजित पवार भी बीजेपी को समर्थन की घोषणा कर चुके हैं।
इतिहास और राजनीतिक पंडितों की माने तो भाजपा जब भी राज्य की सत्ता में आई गृहमंत्रालय उसने हमेशा अपने पास रखा। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार भाजपा यह विभाग अपने पास ही रखेगा।
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1995 में शिवसेना और भाजपा के गठबंधन वाली सरकार में शिवसेना के मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने वहीं गृह मंत्रालय भाजपा के गोपीनाथ मुंडे ने संभाला। इसके बाद 2014 में भाजपा ने मुख्यमंत्री पद और गृह मंत्रालय अपने पास रखा। इसमें देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के मुख्यमंत्री के साथ-साथ गृहमंत्रालय को भी कार्यभार संभाला।
वहीं 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुई बगावत के बाद बनी सरकार में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने लेकिन गृहमंत्री इस बार भी भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ही बने।