नाना पटोले, अविनाश ब्राह्मणकर व सोमदत्त करंजेकर (सोर्स: सोशल मीडिया)
भंडारा: साकोली विधानसभा क्षेत्र में महायुति के बीजेपी से घोषित उम्मीदवारी को लेकर स्वयं भाजपाइयों में नाराजगी देखी जा रही है। इस बीच बीजेपी के ही एक नेता ने विधानसभा चुनाव के लिए निर्दलीय रूप से उम्मीदवारी घोषित करने पर बीजेपी के वोटों के विभाजन की आशंका व्यक्त कर साकोली विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय लड़ाई की चर्चा है।
महा विकास अघाड़ी ने साकोली विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले को उम्मीदवारी घोषित की गई है। जबकि महायुति में बीजेपी से अविनाश ब्राह्मणकर को उम्मीदवारी घोषित हुई है। किंतु इस उम्मीदवारी से नाराज भाजपाइयों ने बड़ी मात्रा में बगावत की नीति अपनाई है। जिसके तहत बीजेपी के डॉ. सोमदत्त करंजेकर को निर्दलीय रूप से विधानसभा चुनाव में खड़ा किया गया है।
हालांकि इस उम्मीदवारी के लिए साकोली के बीजेपी के पूर्व विधायक बाला काशीवार ने पहल करने की भी चर्चा है। इस बीच पिछले 5 वर्षों पूर्व तत्कालीन विधायक बाला काशीवार के कार्यकाल में हुए विभिन्न विकास कामों से साकोली विधानसभा क्षेत्र के मतदाता प्रभावित होने की चर्चा है।
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बाला काशीवार से जुड़े सैकड़ों भाजपाई पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता सहित हजारों मतदाता इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन करने की उम्मीद लगाई जा रही है। जबकि सामाजिक एवं जातिगत नीति पर निर्भर इस क्षेत्र के राजनीति में पहली बार इस क्षेत्र में भाजपाइयों से बगावत देखी गई है। जिसके कारण बीजेपी के वोटों के विभाजन होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
इस बीच एमवीए एवं महायुति के उम्मीदवार एक ही समाज से होने के कारण उक्त समाज के वोटों के विभाजन की भी आशंका है। जिसे लेकर निर्दलीय उम्मीदवार के चुनावी जीत के लिए इस उम्मीदवार के समाज के मतदाता एकजुट होने की चर्चा है। कुल मिलाकर जातिगत एवं सामाजिक नीति के निर्भरता पर तीनों उम्मीदवारों ने चुनावी जीत के लिए अलग अलग रणनीति बनाने की भी चर्चा है।
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इस बीच महायुति के उम्मीदवार के खिलाफ भाजपाइयों में पाए जा रहे आक्रोश सहित निर्दलीय उम्मीदवार के समर्थन को लेकर बीजेपी के वोटों का विभाजन तय माना जा रहा है। जिसका लाभ माविआ के उम्मीदवार को हो सकता है। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में माविआ के उम्मीदवार की न्यूनतम वोटों से चुनावी जीत हुई थी। किंतु इस चुनाव में बगावत के कारण त्रिकोणीय लड़ाई की आशंका में माविआ के उम्मीदवार की भारी वोटों से जीत की उम्मीद व्यक्त की जा रही है।
पिछले लोस चुनाव में संविधान बचाने के उद्देश्य से दलित मतदाताओं ने एकजुटता दिखाते हुए माविआ के समर्थन में वोट किया था। जबकि इस चुनाव में आरक्षण बचाने के उद्देश्य से दलित मतदाता एकजुट देखे जा रहे है। हालांकि साकोली विधानसभा के चुनाव में वंचित एवं बसपा के तहत चुनावी मैदान में दो विभिन्न उम्मीदवार खड़े हुए है। उक्त उम्मीदवारों द्वारा दलित वोटों के विभाजन की चर्चा है। जिसके कारण माविआ के उम्मीदवार को चुनावी खतरे की भी आशंका व्यक्त की जा रही है।