अजित और शरद पवार
मुंबई : महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए होनी वाली वोटिंग से पहले NCP प्रमुख अजित पवार ने बड़ा बयान देकर एक बड़ राजनीतिक विस्पोट किया है। दरअसल NCP प्रमुख ने एक इंटरव्यू में दावा किया कि साल 2019 में बीजेपी-NCP के गठबंधन की महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर बैठक हुई थी। इसमें अमित शाह, गौतम अडानी, देवेंद्र फडणवीस और शरद पवार भी मौजूद थे, बाद में वह अपने इस बयान से पलट गए।
इतना ही नही उन्होंने कहा कि, उद्योगपति गौतम अडानी 5 साल पहले बीजेपी और अविभाजित शरद पवार के नेतृत्व वाली NCP के बीच बातचीत का हिस्सा बने थे। हालांकि, बाद में वह अपने बयान से पलट गए और कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया।दरअसल अजित पवार साल 2019 के चुनाव के बाद का जिक्र कर रहे थे। तब उन्होंने बीजेपी से हाथ मिलाया था। वहीं तब राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बने थे और अजित पवार इसमें डिप्टी सीएम बने थे।
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इस बाबत अजित पवार ने कहा कि, आज 5 साल हो गए। सबको पता है कि मीटिंग में क्या हुआ था। दिल्ली में एक बड़े व्यापारी के घर पर वो बैठक हुई थी। ये सभी को पता है। हां, वहां पांच बैठकें हुई थीं। अमित शाह और गौतम अडानी वहां पर थे। प्रफुल्ल पटेल और देवेंद्र फडणवीस भी मौजुदथे। पवार साहब भी थे। सभी थे…सारे फैसले बी लिए जा चुके थे।
इधर अजित के इस बयान पर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, इससे यह साबित होता है कि महाराष्ट्र की सरकार की अडानी सरकार थी। कांग्रेस ने पुछा कि, इस मीटिंग में गौतम अडानी क्या कर रहे थे। इसका मतलब MVA की सरकार को गिराने में अडानी का ही रोल था। वो धरावी में और कई अन्य प्रोजेक्ट हासिल करना चाहते थे। ये महाराष्ट्र की सरकार नहीं है। ये अडानी सरकार है। अब सच्चाई सब ही के सामने है।
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वहीं शरद पवार ने अजित के उस बयान का खंडन करते हुए कहा कि चुनाव के बाद वे कई केंद्रीय मंत्रियों और उद्योगपतियों से मिले थे, मगर तब सरकार बनाने की कोई चर्चा नहीं हुई थी। उन्होंने कहा कि इन मुलाकातों के दौरान अजित पवार उनके साथ ही थे, लेकिन तब महाराष्ट्र और कृषि से जुड़े मुद्दों पर बातचीत हुई थी।
वहीं अजित पवार ने भी यु-टर्न लेते हुए अपने बयान को तोड़ मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया। इस बाबत उन्होंने कहा कि गौतम अडाणी का इस राजनीति से कोई लेना-देना ही नहीं है। वहीं शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने भी ऐसी किसी मीटिंग से अपनी अनभिज्ञता जताई है। अब अपने इस बयान में अजित ने गौतम अडाणी को ते बचा लिया मगर बीजेपी नेताओं से हुई बातचीत को वह खारिज नहीं कर सके, जिसके चलते विधानसभा चुनाव के पहले, कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) को बैठे-बिठाए एक बड़ा मुद्दा मिल गया है।