ठाणे विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
ठाणे: महाराष्ट्र में चुनावी चिंगारी शोला बनकर सियासी समराग्नि में तब्दील होने को है। राजनीतिक रणकौशल के धनी इस समर में कूदने को बेताब दिखाई दे रहे हैं। सूबे के 288 मोर्चों पर होने वाले इस संग्राम में कौन सा सियासी दल कहां आग्नेयास्त्र का उपयोग करेगा? कौन इसके जवाब में वरुणास्त्र चलाएगा इसे लेकर रणनीति तैयार की जा रही है। साथ ही इस चुनाव आयोग के औपचारिक शंखनाद का इंतज़ार किया जा रहा है।
इस चुनावी जंग में हम विधानसभाओं का क्षेत्रवार विश्लेषण कर रहे हैं। जिसके जरिए यह पता लगाया जा सके कि कहां किस पार्टी या नेता का पलड़ा भारी है। इस कड़ी में आज ठाणे विधानसभा सीट की बारी है। यह सीट शिवसेना का गढ़ रही है। लेकिन 2014 में यहां बीजेपी ने बाजी मार ली। जिसके बाद शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन हो गया। फिर 2019 विधानसभा चुनाव में एक बार फिर यह सीट बीजेपी के खाते में गई और उसने यहां से जीत दर्ज की।
1978 में ठाणे विधानसभा सीट पर पहली बार चुनाव हुए थे। तब यहां जेएनपी से गजानन मोतीराम कोली ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1980 और 1985 में कांति कोली ने कांग्रेस की टिकट पर जीत दर्ज की। लेकिन उसके बाद यहां कांग्रेस राज खत्म हो गया और शिवसेना का वर्चस्व शुरू हो गया। 1990, 1995 और 1999 में मोरेश्वर दामोदर जोशी ने हैट्रिक लगाई। फिर 2004 में वर्तमान सीएम एकनाथ शिंदे ने जीत दर्ज की। उसके बाद 2009 में शिवसेना उम्मीदवार राजन विचारे ने विजयश्री हासिल की।
वर्ष | उम्मीदवार | पार्टी | कुल वोट |
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2019 | केलकर संजय मुकुंद | बीजेपी | 92298 |
2014 | केलकर संजय मुकुंद | बीजेपी | 70884 |
2009 | राजन विचारे | एसएचएस | 51010 |
2004 | एकनाथ शिंदे | एसएचएस | 131159 |
1999 | एम डी जोशी | एसएचएस | 67429 |
1995 | जोशी मोरेश्वर दामोदर | एसएचएस | 122595 |
1990 | एम डी जोशी | एसएचएस | 94236 |
1985 | कांति कोली | कांग्रेस | 40890 |
1980 | कोली कांति | किसान कांग्रेस (आई) | 32186 |
1978 | कोली गजानन मोतीराम | जेएनपी | 49123 |
जनरल कैटेगरी में लिस्टेड ठाणे विधानसभा सीट पर 2019 के आंकड़ों के मुताबिक कुल 3 लाख 36 हजार 900 वोटर्स हैं। जिसमें से सबसे ज्यादा 8 प्रतिशत 26 हजार 952 यानी करीब 8 फीसदी मुस्लिम मतदाता है। दूसरे पायदान पर यहां एससी वोटर्स आते हैं। उनक संख्या साढ़े 16 हजार के आस-पास है। बात करें आदिवासी वोटर्स की तो वह भी 7 हजार के आस-पास है। इसके अलावा यहां 8 हजार के करीब पाटिल, 7 हजार के आस-पास यादव और 5 हजार के करीब क्रिश्चियन वोटर्स हैं।
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2024 में यहां के चुनावी माहौल की चर्चा करें तो राजनीतिक चर्चाओं में शिवसेना यूबीटी और बीजेपी के बीच लड़ाई मानी जा रही है। महायुति की तरफ से बीजेपी उम्मीदवार मैदान में होगा तो महाविकास अघाड़ी की तरफ से यह सीट शिवसेना उद्धव गुट के हिस्से में जाएगी। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार यहां बीजेपी हैट्रिक लगाने में कामयाब होती है या फिर शिवसेना पुराना वर्चस्व हासिल करने में सफल होगी?