छगन भुजबल (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र में चुनावी बिगुल बज चुका है। पार्टियों ने तैयारियों शुरू कर दी है। अपने-अपने गढ़ में मुस्तैदी से लड़ने के लिए रणनीतियां बनाई जा रही है। राजधानी मुंबई में आने वाली 36 सीटों के साथ कोंकण में की 75 सीटों पर सभी दलों की नजर होगी। खासकर मुंबई की 36 सीटें अहम मानी जाती है। मुंबई से लेकर सिंधुदुर्ग के सुदूर दक्षिणी जिले तक फैला महाराष्ट्र का तटीय क्षेत्र किसी समय में कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों में अविभाजित शिवसेना के हाथों कांग्रेस ने अपनी राजनीतिक जमीन खो दी है।
महाराष्ट्र को 1960 में राज्य का दर्जा मिलने के बाद इस क्षेत्र के अधिकांश लोग काम और व्यवसाय के लिए मुंबई चले गए थे। तब तटीय कोंकण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुंबई से भेजे जाने वाले ‘मनीऑर्डर’ पर निर्भर मानी जाती थी। हालांकि, अब स्थिति वैसी नहीं रही। राजनीतिक पंडितों को कहना है कि 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। महाराष्ट्र में की सत्ता की चाबी किसे मिलेगी यह तय करने में काेंकण क्षेत्र का अहम रोल होगा।
पूर्व मुख्यमंत्री और रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग से बीजेपी के लोकसभा सांसद नारायण राणे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कोंकण अब आत्मनिर्भर हो गया है और मछली, आम और काजू के निर्यात के बलबूते समृद्ध हो रहा है। वर्ष 1990 में पहली बार सिंधुदुर्ग की मालवान सीट से शिवसेना विधायक के रूप में जीतने वाले 72 वर्षीय राणे ने कहा कि ‘‘युवा उद्यमशीलता को अपना रहे हैं। हवाई और रेल संपर्क बढ़ने से बुनियादी ढांचे का भी विस्तार हुआ है। पर्याप्त बिजली और पानी उपलब्ध है। इस क्षेत्र में जबरदस्त आर्थिक परिवर्तन हुआ है।”
बीजेपी नेता नारायण राणे ने कहा कि ‘‘मैं सिंधुदुर्ग की तरह रत्नागिरी को भी पर्यटन जिले के रूप में विकसित करना चाहता हूं।” एनसीपी नेता व मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि पिछले पांच वर्षों के राजनीतिक बदलाव का ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों पर अधिक प्रभाव पड़ेगा। छगन भुजबल 1985 में मुंबई की मजगांव सीट से ‘मशाल’ चुनाव चिह्न पर निर्वाचित होने वाले एकमात्र शिवसेना विधायक थे। वह अब अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता हैं।
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एनसीपी नेता छगन भुजबल ने बताया कि अविभाजित शिवसेना और कांग्रेस कभी इस क्षेत्र में कट्टर प्रतिद्वंद्वी हुआ करती थीं। उन्होंने कहा कि 2022 में शिवसेना में विभाजन के बाद, कोंकण संभाग का हिस्सा और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के राजनीतिक क्षेत्र ठाणे जिले में प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा।
छगन भुजबल ने दावा किया कि ‘‘मुझे लगता है कि महाराष्ट्र में 30 से अधिक निर्दलीय उम्मीदवार चुनकर आएंगे और अगली सरकार बनाने की कुंजी उनके पास होगी।” ‘बाल ठाकरे एंड द राइज ऑफ द शिवसेना’ पुस्तक के लेखक एवं पत्रकार वैभव पुरंदरे ने बताया कि 1966 में स्थापित क्षेत्रीय पार्टी शिवसेना, मुंबई और कोंकण में मजबूत हुई, जहां पहले वामपंथियों और समाजवादियों का महत्वपूर्ण प्रभाव हुआ करता था।
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वैभव पुरंदरे ने कहा कि ‘‘शिवसेना ने कांग्रेस के समर्थन से वामपंथियों का मुकाबला किया। जब वामपंथियों का सफाया हो गया, तो मुंबई के मिल मजदूर, जो पहले वामपंथियों के साथ जुड़े हुए थे, शिवसेना के पाले में आ गए। ये मिल मजदूर कोंकण से मुंबई में काम करने आए थे, इसलिए कोंकण में उनके परिवारों ने भी शिवसेना का समर्थन किया।”
बता दें कि महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान होगा और मतगणना 23 नवंबर को होगी। एकनाथ शिंदे की शिवसेना और प्रतिद्वंदी उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) की निगाहें तटीय क्षेत्र काेंकण के चुनावी प्रदर्शन पर टिकी हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)