बिहार विधानसभा चुनाव 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Bihar Assembly Elections 2025: दरभंगा जिले का जाले विधानसभा क्षेत्र उत्तर-मध्य मिथिला की राजनीति में अपनी उतार-चढ़ाव भरी राजनीतिक यात्रा के कारण एक अहम पहचान रखता है। यह पूर्ण रूप से ग्रामीण स्वरूप वाला क्षेत्र है, जो बागमती नदी के उत्तर में स्थित है और जिसका नाम स्थानीय धार्मिक स्थल जलेश्वरि स्थान से जुड़ा है।
यह विधानसभा सीट मधुबनी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है, और दरभंगा मुख्यालय से लगभग 32 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। भौगोलिक स्थिति इसे मधुबनी, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर जैसे बड़े शहरों से जोड़ती है, जिससे यहाँ की सामाजिक-आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित होती हैं।
1951 में स्थापित इस सीट पर अब तक 18 चुनाव हो चुके हैं, और यहाँ के मतदाताओं ने कभी भी किसी एक विचारधारा का लगातार समर्थन नहीं किया है। जाले की राजनीति में वामपंथ से लेकर दक्षिणपंथ तक सभी को मौका मिला है। कांग्रेस को शुरुआती तीन चुनावों सहित कुल 5 बार विजयी होने का मौका मिला। फिर जनसंघ व भाजपा ने पाँच बार जीत हासिल की। यहां पर भाकपा को भी चार बार जीत हासिल हुयी है, जिससे इलाके में वामपंथी प्रभाव का पता चलता है। इसके अलावा यहां पर राजद, जनता दल और जदयू ने भी जीत हासिल की है।
यहां राजनीतिक परिवारों का दबदबा भी साफ दिखता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ललित नारायण मिश्र के पुत्र विजय कुमार मिश्र ने तीन बार (कांग्रेस और भाजपा से) जीत हासिल की। 2015 से भाजपा के जीवेश मिश्रा लगातार इस सीट पर काबिज हैं।
जाले की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर आधारित है, जहाँ धान प्रमुख फसल है। यहाँ के मतदाता हर साल दो बड़ी समस्याओं से जूझते हैं। बागमती नदी की बाढ़ का असर दिखता है। बरसात के दिनों में यह बड़ी समस्या बन जाती है, जो ग्रामीण इलाकों को प्रभावित करती है। इसके अलावा पलायन, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की सीमितता, और रोजगार के अवसरों की कमी प्रमुख मुद्दे हैं, जिसके कारण युवा बड़े पैमाने पर दरभंगा, पटना, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों की ओर पलायन करते हैं।
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चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, जाले विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,23,092 मतदाता हैं, जिनमें पुरुषों की संख्या (1,69,987) महिलाओं (1,53,098) से अधिक है। वर्तमान में भाजपा के जीवेश मिश्रा इस सीट पर काबिज हैं, लेकिन जाले के इतिहास को देखते हुए उनकी राह आसान नहीं होगी। विपक्ष (राजद-कांग्रेस गठबंधन) भाजपा को बाढ़, बेरोजगारी और किसानों के मुद्दों पर घेरने की पूरी कोशिश करेगा। जाले का रण 2025 में भी दिलचस्प और कांटे का होने वाला है, जहां मतदाता किसी एक दल को नहीं, बल्कि उस उम्मीदवार को चुनेंगे जो इन गंभीर स्थानीय समस्याओं का समाधान करने का वादा करेगा।