बाजपट्टी विधानसभा चुनाव (सोर्स- डिजाइन)
Bajpatti Assembly Constituency: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच सीतामढ़ी जिले की बाजपट्टी विधानसभा सीट एक बार फिर सियासी हलचल का केंद्र बन गई है। परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई यह सीट अपने जटिल सामाजिक-जातीय समीकरणों और स्थानीय मुद्दों के कारण हमेशा चर्चा में रही है। 2020 में राजद ने जदयू का विजय रथ रोकते हुए यहां जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है, जिससे समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं।
बाजपट्टी विधानसभा सीट पर पहला चुनाव 2010 में हुआ था। उस चुनाव में जदयू की डॉ. रंजू गीता ने एनडीए के साथ मिलकर जीत हासिल की। 2015 में जदयू ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा और फिर से जीत दर्ज की। 2020 में जदयू ने एक बार फिर एनडीए के साथ चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार राजद के मुकेश यादव ने उन्हें मात्र 2,704 वोटों से हराकर सीट छीन ली। इस हार का एक बड़ा कारण लोजपा (रामविलास) का एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ना माना गया, जिससे वोटों का बिखराव हुआ और जदयू को नुकसान उठाना पड़ा।
बाजपट्टी विधानसभा क्षेत्र में यादव, मुस्लिम और ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या निर्णायक है। 2020 के चुनाव में यादव-मुस्लिम गठजोड़ ने राजद के पक्ष में माहौल बनाया। जदयू की डॉ. रंजू गीता को लगातार दो बार जीत दिलाने वाले मतदाता इस बार बंट गए, जिससे राजद को फायदा मिला। 2025 में जदयू की रणनीति इस गठजोड़ को तोड़ने और अपने पारंपरिक वोट बैंक को फिर से संगठित करने की होगी। वहीं, राजद पिछली जीत को बरकरार रखने के लिए जातीय संतुलन और स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखेगी।
बाजपट्टी विधानसभा की कुल जनसंख्या 5,63,531 है, जिसमें पुरुषों की संख्या 2,95,455 और महिलाओं की संख्या 2,68,076 है। चुनाव आयोग के 1 जनवरी 2024 के आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र में कुल मतदाता 3,37,812 हैं। इनमें पुरुष मतदाता 1,78,701, महिला मतदाता 1,59,105 और थर्ड जेंडर मतदाता 6 हैं। महिला मतदाताओं की संख्या भी काफी है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं।
बाजपट्टी पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जहां की जनता मुख्य रूप से कृषि और उससे जुड़े व्यवसायों पर निर्भर है। धान, गेहूं, मक्का जैसी फसलें यहां की अर्थव्यवस्था का आधार हैं। इसके अलावा पशुपालन, मजदूरी और छोटे व्यापार भी आजीविका के स्रोत हैं। हर साल मानसून के दौरान बाढ़ से फसलों और घरों को भारी नुकसान होता है। तटबंधों की खराब स्थिति और बाढ़ प्रबंधन की कमी इस समस्या को और गंभीर बनाती है। स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति भी चिंताजनक है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों और उपकरणों की कमी आम बात है। शिक्षा व्यवस्था भी कमजोर है, स्कूलों में शिक्षकों की कमी और आधारभूत सुविधाओं का अभाव बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित करता है।
2025 के चुनाव में बाजपट्टी में त्रिकोणीय मुकाबले की पूरी संभावना है। एनडीए में शामिल जदयू को इस बार लोजपा (रामविलास) का साथ मिलेगा, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है। दूसरी ओर, महागठबंधन में राजद, कांग्रेस और वामपंथी दल एकजुट हैं। इसके अलावा प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है, जिससे बाजपट्टी में तीसरे विकल्प की मौजूदगी समीकरणों को और उलझा सकती है।
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बाजपट्टी विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है। राजद अपनी पिछली जीत को दोहराने की कोशिश में है, जबकि जदयू हर हाल में वापसी चाहती है। जन सुराज की एंट्री से मतदाताओं के सामने नया विकल्प भी मौजूद होगा। अब देखना यह है कि क्या बाजपट्टी में राजद अपनी पकड़ बनाए रखेगी, जदयू वापसी करेगी या जन सुराज कोई चौंकाने वाला प्रदर्शन करेगा। मतदाताओं का फैसला ही तय करेगा इस सीट का भविष्य।