अनंत सिंह, (सोर्स-सोशल मीडिया)
Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का सियासी पारा लगातार चढ़ रहा है, और इस बार पटना जिले की मोकामा विधानसभा सीट सबसे ज्यादा चर्चा में है। बाहुबली नेता और पूर्व विधायक अनंत सिंह आज, 14 अक्टूबर, को जनता दल यूनाइटेड (JDU) के उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन दाखिल करेंगे। कहा जा रहा है कि वह रोड शो के जरिए अपना दमखम दिखाते हुए नामांकन करने जाएंगे।
जेल से रिहा होने के बाद अनंत सिंह ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU से चुनाव लड़ेंगे। JDU ने उन्हें मोकामा सीट से उम्मीदवार घोषित करते हुए सिंबल दे दिया है। सूत्रों के मुताबिक, उनके प्रतिनिधि ने पार्टी सिंबल कलेक्ट कर लिया है, जिसके बाद उनके नामांकन की तारीख 14 अक्टूबर पर मुहर लग गई है।
अनंत सिंह अपने समर्थकों के साथ रोड शो करते हुए नामांकन भरने पहुंचेंगे, जिसे जनसमर्थन के बड़े प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने खुद सोशल मीडिया के माध्यम से जनता मालिक से इस ‘लोकतंत्र के महापर्व’ में शामिल होने की अपील की है। अनंत सिंह की राजनीतिक वापसी मोकामा के सियासी समीकरणों को पूरी तरह से बदल सकती है। फिलहाल इस सीट से उनकी पत्नी नीलम देवी विधायक हैं, जिन्होंने 2020 में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के टिकट पर जीत हासिल की थी, लेकिन 2024 में उन्होंने NDA सरकार का समर्थन किया था।
अनंत सिंह ने साफ कर दिया था कि इस बार नीलम देवी नहीं, बल्कि वे खुद चुनावी मैदान में उतरेंगे। JDU का सिंबल मिलने के बाद, उनकी वापसी और चुनावी रण में सीधा उतरना तय हो गया है। अनंत सिंह मोकामा क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ और ‘छोटे सरकार’ की छवि के लिए जाने जाते हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में उनका प्रभाव अब भी बरकरार है।
मोकामा का यह चुनाव इस मायने में ऐतिहासिक होने जा रहा है, क्योंकि करीब 25 साल बाद यहां दो सशक्त राजनीतिक परिवारों के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है। एक ओर बाहुबली छवि वाले अनंत सिंह हैं, तो दूसरी ओर राजनीतिक रसूख और संगठन पर मजबूत पकड़ रखने वाले सूरजभान सिंह का परिवार। यह टकराव नया नहीं है। 25 साल पहले इसी सीट पर सूरजभान सिंह ने अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह को हराकर मोकामा की राजनीति की दिशा बदल दी थी। अब वही परिदृश्य एक बार फिर बन रहा है।
इस बार स्वयं अनंत सिंह JDU से मैदान में हैं, जबकि सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी महागठबंधन की ओर से RJD की प्रत्याशी हो सकती हैं। वीणा देवी कभी सांसद रह चुकी हैं और संगठन पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। RJD को उम्मीद है कि वीणा देवी एक सशक्त उम्मीदवार के रूप में अनंत सिंह को कड़ी टक्कर दे सकती हैं। दोनों परिवारों के बीच का यह राजनीतिक और सामाजिक समीकरण इस चुनाव को राज्य के सबसे दिलचस्प मुकाबलों में से एक बना रहा है। यह सियासी संघर्ष एक बड़े चुनावी महाभारत की ओर संकेत कर रहा है।
मोकामा सीट पर जातीय और सामाजिक समीकरण हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। यहां भूमिहार, यादव, कुशवाहा और मुस्लिम वोटरों की संख्या अहम है। अनंत सिंह भूमिहार समुदाय से आते हैं और इस वर्ग में उनकी अच्छी पकड़ है। वहीं, RJD को यादव और मुस्लिम वोटरों का परंपरागत समर्थन मिलता रहा है। ऐसे में, दोनों बाहुबली परिवारों के बीच का यह मुकाबला त्रिकोणीय के बजाय सीधा और बेहद कांटे का हो सकता है। मतदाताओं का मिजाज भी दिलचस्प है; पुराने मुकाबलों की यादें ताजा हैं और लोग इस बार के चुनाव को ‘फिर से वही पुराना संग्राम’ कह रहे हैं।
यह मुकाबला सिर्फ मोकामा सीट तक ही सीमित नहीं रहेगा। दो राजनीतिक ध्रुवों के टकराव का प्रतीक यह चुनाव, दो राजनीतिक परिवारों की प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है। दोनों पक्ष अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में हैं, जिससे मुकाबला कांटे का होने की पूरी संभावना है। मोकामा सीट का परिणाम न केवल स्थानीय राजनीति बल्कि पूरे पटना-बाढ़ बेल्ट की सियासी तस्वीर को प्रभावित कर सकता है।
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राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस बार युवाओं की भागीदारी और विकास बनाम पहचान की राजनीति भी अहम मुद्दा बन सकती है। मोकामा पर टिकी निगाहें, यहां से पूरे प्रदेश के चुनावी समीकरणों को नई दिशा दे सकती हैं।